असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने अपराध और अपराधियों के लिए कड़े तेवर एख्तियार करते पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री सरमा के मुताबिक, अगर अपराधी पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश करते हैं तो मुठभेड़ "पैटर्न होना चाहिए." उन्होंने राज्य में हाल में हुए शूटआउट्स को उचित ठहराते हुए सोमवार को महिला के लिए अपराध के मामले में जीरो टॉलरेंस (Zero-tolerance) अपनाने समेत अन्य चीजों की वकालत की.
सरमा ने यहां पहली बार राज्य के सभी पुलिस थानों के प्रभारी अधिकारियों के साथ हुई बैठक में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से सख्ती से निपटने और जीरो टॉलरेंस दिखाने के निर्देश दिए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आपके थाने में हत्या, बलात्कार, ड्रग्स, उगाही और अवैध हथियारों के सभी लंबित मामलों में अगले छह महीने में आरोप पत्र दायर हो जाने चाहिए. जैसी भी सहायता की जरूरत हो उसके लिए अपने वरिष्ठ अधिकारियों, रेंज के डीआईजी से संपर्क कीजिए.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरमा ने कहा, "अगर कोई आरोपी सर्विस रिवाल्वर छीनता और भागने की कोशिश करता है या फिर सिर्फ भागता है और अगर वह बलात्कारी है तो कानून ऐसे लोगों के पैर में गोली मारने की इजाजत देता है, न कि छाती में. "
उन्होंने कहा, "जब कोई मुझसे पूछता है कि क्या राज्य में मुठभेड़ का पैटर्न बन गया है तो मैं कहता हूं कि अगर अपराधी पुलिस हिरासत से भागने का प्रयास करता है तो (मुठभेड़) पैटर्न होना चाहिए."
बाद में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस के पास शूटआउट का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कानून के जरिए अपराध से मुकाबला किया जाना चाहिए. उन्होंने यह (शूटआउट) सिर्फ तभी होता है जब कोई और चारा नहीं बचता है."
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में मई के बाद कम से कम 12 संदिग्ध उग्रवादी और अपराधी मुठभेड़ में मारे गए हैं क्योंकि कथित तौर पर उन्होंने हिरासत से भागने का प्रयास किया, वहीं बलात्कार के आरोपियों और पशु तस्करों सहित कई अन्य मुठभेड़ में जख्मी हुए हैं.
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