अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्वागत किया है, उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में आज का दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. हर किसी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करना चाहिए. उन्होंने ऐलान किया कि वह 24 नवंबर को अयोध्या जाएंगे, उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि मैं लाल कृष्ण आडवाणी से भी मुलाकात करने जाऊंगा और उन्हें इसके लिए शुभकामनाएं दूंगा. उद्धव ने कहा कि उन्होंने इसी दिन के लिए रथयात्रा निकाली थी, मैं उनसे जरूर मिलूंगा और उनका आशीर्वाद लूंगा.
Shiv Sena chief Uddhav Thackeray: I will also visit LK Advani ji to thank him & congratulate him. He had taken out 'Rath-Yatra' for this. I will surely meet him and seek his blessings. #AyodhyaJudgement https://t.co/MMuMddk7mt
— ANI (@ANI) November 9, 2019
गौर हो कि इन दिनों बीजेपी और शिवसेना के रिश्तों के बीच खटास देखने को मिल रही है. शायद इसी वजह से उद्धव ठाकरे ने इस फैसले के लिए बीजेपी के शीर्ष नेताओं का जिक्र नहीं किया. महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में शिवसेना और बीजेपी ने गठबंधन में चुनाव लड़ा लेकिन नतीजों के बाद से दोनों की राहें अलग-अलग हो गई हैं. सीएम पद को लेकर शुरू हुई तनातनी शुक्रवार को दोनों ही पार्टियों की प्रेस कांफ्रेंस में देखने को मिली, जहां बीजेपी ने शिवसेना और शिवसेना ने बीजेपी पर जमकर वार-पलटवार किए.
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दशकों पुराने तथा पूरे देश को आंदोलित करते रहे केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित भूमि का कब्ज़ा सरकारी ट्रस्ट को मंदिर बनाने के लिए दे दिया गया है, तथा उत्तर प्रदेश के इसी पवित्र शहर में एक 'प्रमुख' स्थान पर मस्जिद के लिए भी ज़मीन आवंटित की जाएगी. इस केस में वादी भगवान रामचंद्र के बालस्वरूप 'रामलला' को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक दिया गया है. सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ ज़मीन का एक 'उपयुक्त' प्लॉट दिया जाएगा. न्यायमूर्तियों ने कहा कि ऐसा किया जाना ज़रूरी था, क्योंकि 'जो गलतियां की गईं, उन्हें सुधारना सुनिश्चित करना भी' कोर्ट का उत्तरदायित्व है. कोर्ट ने यह भी कहा कि 'सहिष्णुता तथा परस्पर सह-अस्तित्व हमारे देश तथा उसकी जनता की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता को पुष्ट करते हैं...' कोर्ट ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट या बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए.
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