प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
नोटबंदी के मुद्दे पर अपने रुख से पलटते हुए शिवसेना सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और निर्णय को एक साहसिक एवं ऐतिहासिक कदम बताते हुए उनकी प्रशंसा की और पूर्ण समर्थन का आश्वासन दिया.
प्रधानमंत्री से संसद भवन स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात करने वाले सांसदों ने कहा कि वे भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'प्रधानमंत्री के साथ हमारे सांसदों की अच्छी बैठक हुई. प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सभी एडीए में हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन मार्च में शिव सेना की भागीदारी को अन्यथा या राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए.'
हालांकि, राज्यसभा में पार्टी के नेता संजय राउत के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से सहकारिता बैंकों के सघन नेटवर्क के सही ढंग से इस्तेमाल करने और नोटबंदी अभियान में उन्हें भाग लेने की अनुमति देने की मांग की. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने भी शिवसेना के साथ पुराने संबंधों को याद किया.
वास्तव में, एक समय महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय संगठन रही शिवसेना 80 के दशक से बीजेपी का पहला घटक दल है. हालांकि प्रधानमंत्री को सौंपे गए दो पृष्ठों के ज्ञापन में कहा गया है कि 'बड़े मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद से विगत 13 दिनों में जमीनी स्थिति चिंताजनक हो गई है.'
ज्ञापन पर दस्तखत करने वाले अन्य लोगों में संजय राउत, लोकसभा में पार्टी के उपनेता आनंद राव अडसुल, चंद्रकांत खरे और अरविंद सावंत शामिल हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि सरकारी निर्देश के तहत सहकारी बैंक और साख समितियां नोट बदलने के लिए योग्य नहीं हैं. सेना ने यह भी मांग की कि नोटबंदी के बाद महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र की विभिन्न संस्थाओं द्वारा संग्रहीत प्रतिबंधित नोट राष्ट्रीयकृत बैंकों में स्वीकार किए जाएं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रधानमंत्री से संसद भवन स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात करने वाले सांसदों ने कहा कि वे भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ हैं. पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, 'प्रधानमंत्री के साथ हमारे सांसदों की अच्छी बैठक हुई. प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें आश्वस्त किया कि हम सभी एडीए में हैं.' उन्होंने आगे कहा, 'तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी के नेतृत्व में राष्ट्रपति भवन मार्च में शिव सेना की भागीदारी को अन्यथा या राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए.'
हालांकि, राज्यसभा में पार्टी के नेता संजय राउत के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री से सहकारिता बैंकों के सघन नेटवर्क के सही ढंग से इस्तेमाल करने और नोटबंदी अभियान में उन्हें भाग लेने की अनुमति देने की मांग की. सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री ने भी शिवसेना के साथ पुराने संबंधों को याद किया.
वास्तव में, एक समय महाराष्ट्र में एक क्षेत्रीय संगठन रही शिवसेना 80 के दशक से बीजेपी का पहला घटक दल है. हालांकि प्रधानमंत्री को सौंपे गए दो पृष्ठों के ज्ञापन में कहा गया है कि 'बड़े मूल्य के नोटों को अमान्य घोषित किए जाने के बाद से विगत 13 दिनों में जमीनी स्थिति चिंताजनक हो गई है.'
ज्ञापन पर दस्तखत करने वाले अन्य लोगों में संजय राउत, लोकसभा में पार्टी के उपनेता आनंद राव अडसुल, चंद्रकांत खरे और अरविंद सावंत शामिल हैं. ज्ञापन में कहा गया है कि सरकारी निर्देश के तहत सहकारी बैंक और साख समितियां नोट बदलने के लिए योग्य नहीं हैं. सेना ने यह भी मांग की कि नोटबंदी के बाद महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र की विभिन्न संस्थाओं द्वारा संग्रहीत प्रतिबंधित नोट राष्ट्रीयकृत बैंकों में स्वीकार किए जाएं.
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