शीना हत्याकांड : साजिश के सभी तार जुड़ना अभी बाकी

शीना हत्याकांड : साजिश के सभी तार जुड़ना अभी बाकी

मुंबई के पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया मीडिया को जानकारी देते हुए।

मुंबई:

शीना हत्याकांड की जांच कर रही मुंबई पुलिस मुंबई से कोलकाता और गुवाहाटी तक बिखरे सभी सबूतों को जोड़ने के लिए लगातार हाथ - पैर मार रही है। काफी हद तक उसे सफलता भी मिलती जा रही है। आरोपी ड्राईवर श्याम राय और इन्द्राणी के दूसरे पति संजीव खन्ना ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। बावजूद इसके साजिश की कई कड़ियां जुड़नी अभी बाकी हैं।
 
कहने को तो मुंबई से दूर रायगढ़ के जंगल में मुंबई पुलिस को आज बड़ी सफलता मिली। जमीन में गड़े उस शव के अवशेष मिल गए जो 23 मई 2012 को पेण पुलिस ने फिर से वहीं गाड़ दिए थे। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि शीना हत्याकांड की गुत्थी सुलझ गई। सबसे पहले तो मौके से मिले अवशेष का डीएनए इन्द्राणी मुखर्जी यानी कि शीना की मां और भाई मिखाइल बोरा के डीएनए से मिलना चाहिए। तभी यह साबित हो पाएगा कि 3 साल पहले मिला शव शीना का ही था और उसकी हत्या की गई थी। वर्ना पूरे किए कराए पर पानी फिर जाएगा ।

कानून के जानकारों के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों ने ही शीना की हत्या की है, इसे अदालत में साबित करने के लिए पुलिस को अभी कई सबूतों और गवाहों की दरकार है। बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील नीलेश पावसकर का कहना है कि रिकवरी एविडेंस एक्ट 27 के तहत आरोपी के जगह दिखाने पर रिकवरी जरूरी है, लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ है। पुलिस ने बाद में रिकवरी दिखाई है। इसलिए यह तब तक  मुकम्मल सबूत नहीं माना जाएगा जब तक कि उसके सपोर्ट में दूसरे सबूत न हों।

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सबसे पहले तो पुलिस को हत्या में शामिल सभी आरोपियों की मौके पर मौजूदगी दिखानी होगी। जो कॉल डाटा रिकॉर्ड से पता चल सकता है। वारदात के 3 साल बाद यह मुश्किल काम है। इसके साथ ही कहानी को मजबूती देने वाले सबूत और गवाहों की जरूरत पड़ेगी। मकसद भी दिखाना होगा। मतलब यह कि कानून की भाषा में जिसे 'चेन ऑफ़ एविडेंस' कहते हैं, उसे पूरा करना पुलिस के लिए सबसे अहम है। वर्ना अदालत में उसकी पूरी मेहनत पर पानी फिर सकता है।