इसपर ट्वीट करते हुए शशि थरूर ने लिखा कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ने 'मनमोहन सिंह की लंबी तारीफ' की है लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम लेकर जिक्र भी नहीं है. थरूर ने बताया कि उनके पास ओबामा की दो हिस्सों में आ रहे इस संस्मरण के पहले पार्ट की एडवांस कॉपी है और उन्होंने इंडेक्स में भारत का जहां-जहां जिक्र है, वो सारे पेज पढ़ लिए हैं.
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, 'बड़ी खबर : ज्यादा कुछ कहने को नही है. उससे भी बड़ी खबर : पूरे 902 पेज में नरेंद्र मोदी का एक बार भी नाम लेकर जिक्र नहीं है.' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'मनमोहन सिंह की तारीफ की गई है, जिसमें उन्हें 'बुद्धिमान, विचारपूर्ण और ईमानदार' 'असामान्य तौर पर ज्ञानी और शालीन व्यक्ति' बताया गया है, जिनके साथ उनके 'जोशीले और फलदायक संबंध' रहे, हालांकि, मनमोहन सिंह अपनी विदेश नीति को लेकर बहुत ही सजग रहते थे, उनके प्रति दूसरों का सम्मान दिखता है.'
थरूर ने किताब की कुछ पंक्तियों लिखी हैं- राष्ट्रपति ओबामा को 'हिंसक प्रवृत्ति, लालच, भ्रष्टाचार, राष्ट्रवाद, नस्लभेद और धार्मिक असहिष्णुता की चिंता होती है. वो बस इंतजार में बैठे हैं, ताकि जब भी ग्रोथ रेट घटे, या फिर डेमोग्राफी बदले या फिर कोई करिश्माई नेता लोगों के डर की लहर पर सवार होकर उभरे, और वो सामने आ सकें. और मैं चाहे कितना भी इसका उलट चाहता था, इन हालातों में महात्मा गांधी कहीं नहीं थे.'
थरूर ने अपने अगले ट्वीट में लिखा है, 'यह सोचना मुश्किल है कि जो संघी इस संस्मरण की एक लाइन को लेकर सोशल मीडिया पर इतनी खुशी मना रहे हैं, इन विचारों से कितना सुकून पाएंगे. इन लाइनों से साफ हो जाता है कि संस्मरण के दूसरे हिस्से में मनमोहन सिंह के बाद के भारत का जिक्र किस तरह किया गया है.'
बता दें कि न्यूयॉर्क टाइम्स में पिछले हफ्ते इस संस्मरण के कुछ एक्सर्प्ट में राहुल गांधी पर की गई टिप्पणी को लेकर बीजेपी ने कई तंज कसे थे. ओबामा ने कहा है कि 'राहुल गांधी उस छात्र जैसे लगते हैं जैसे कि उसने अपना कोर्सवर्क पूरा कर लिया हो और टीचर को खुश करना चाहता हो, लेकिन असल उसकी विषय पर पूरी पकड़ न हो.'
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