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This Article is From Jun 08, 2018

प्रणब मुखर्जी के RSS मुख्‍यालय में भाषण के बाद बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा- जिसका डर था, वही हुआ

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री एवं कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि जिस बात का उन्हें डर था और अपने पिता को जिस बारे में उन्होंने आगाह किया था,

प्रणब मुखर्जी के RSS मुख्‍यालय में भाषण के बाद बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा- जिसका डर था, वही हुआ
शर्मिष्ठा मुखर्जी की फाइल फोटो
नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की पुत्री एवं कांग्रेस नेता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि जिस बात का उन्हें डर था और अपने पिता को जिस बारे में उन्होंने आगाह किया था, वही हुआ. उन्होंने आरोप लगाया कि जिसका डर था, भाजपा/आरएसएस के ‘डर्टी ट्रिक्स डिपार्टमेंट’ने वही किया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर छेड़छाड़ की गयी तस्वीरों में ऐसा नजर आ रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति संघ नेताओं और कार्यकर्ताओं की तरह अभिवादन कर रहे हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने रुचि शर्मा के एक ट्वीट को रिट्वीट किया है जिसमें दो तस्वीरें हैं। इनमें से एक तस्वीर में प्रणब मुखर्जी संघ की काली टोपी में दिख रहे हैं. शर्मिष्ठा मुखर्जी ने उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का विरोध किया था और बुधवार को ट्विटर पर अपने पोस्ट के जरिये उन्होंने अपनी नाखुशी भी जाहिर की थी.

 
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वहीं कांग्रेस ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की तस्वीरें देखकर पार्टी के लाखों कायकर्ताओं और भारत के बहुलवाद, विविधता एवं बुनियादी मूल्यों में विश्वास करने वालों को दुख हुआ है. कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा, ‘वरिष्ठ नेता और विचारक प्रणब मुखर्जी की आरएसएस मुख्यालय में तस्वीरों से कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता और भारतीय गणराज्य के बहुलवाद, विविधता एवं बुनियादी मूल्यों में विश्वास करने वाले लोग दुखी हैं.’    उन्होंने कहा, ‘संवाद उन्हीं लोगों के साथ हो सकता है जो सुनने, आत्मसात करने और बदलने के इच्छुक हों. यहां ऐसा कुछ नहीं जिससे पता चलता हो कि आरएसएस अपने मुख्य एजेंडा से हट चुका है. संघ वैधता हासिल करने की कोशिश में है.’ कांग्रेस ने ट्विटर पर एक वीडियो जारी कर कहा कि ‘यह नहीं भूलना चाहिए कि आरएसएस क्या है?’

 
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पार्टी ने कहा, ‘लोगों को याद दिलाने का अच्छा मौका है कि वास्तव में आरएसएस क्या है. अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में आरएसएस ने कभी भाग नहीं लिया. वह ब्रिटिशकाल में हमेशा औपनिवेशिक ताकत के अधीन रहा. 1930 में गांधी जी ने नमक सत्याग्रह आंदोलन शुरू किया तो हेडगेवार ने यह सुनिश्चित किया कि संघ का इस आंदोलन से कोई लेनादेना नहीं हो।’पार्टी ने दावा किया कि आरएसएस ने कभी भी तिरंगे का सम्मान नहीं किया और हाल के समय में उन्होंने अपने मुख्यालय पर तिरंगा फहराना शुरू किया. कांग्रेस ने यह भी दावा किया, ‘गांधी जी की हत्या के बाद आरएसएस के लोगों ने खुशियां मनाईं और मिठाइयां बांटीं थी. विनायक दामोदर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार से माफी मांगी थी और उनके प्रति वफादारी जताई थी. जेल में रहते हुए उन्होंने कई बार दया के लिए लिखा था.’ 

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उधर, कांग्रेस के कई नेताओं और पूर्व राष्ट्रपति की पुत्री शर्मिष्ठा मुखर्जी ने भी उनके आरएसएस के कार्यक्रम में जाने पर सवाल खड़े किए. पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक सिंघवी ने कहा कि प्रणब दा का फैसला निजी है और इस पर खूब वाद-विवाद भी हो सकता है, लेकिन उनके जाने पर नहीं बल्कि उनके कहे शब्दों का विश्लेषण होना चाहिए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने कहा कि 'मैंने प्रणब दा से यह उम्मीद नहीं की थी.' शर्मिष्ठा ने कल ट्वीट कर कहा था कि वह नागपुर जाकर ‘भाजपा एवं संघ को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाहें फैलाने' की सुविधा मुहैया करा रहे हैं. मुखर्जी संघ के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित संघ शिक्षा वर्ग के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे हैं.

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