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केंद्रीय कृषि शरद पवार का कहना है कि इस वर्ष मॉनसून में देरी जरूर हुई है लेकिन फिलहाल चिंता की बात नहीं है। तिलहन और दलहन की खेती पर इस खराब मॉनसून का सबसे ज्यादा असर पड़ा है।
पवार ने कहा, "जी हां, मानसून में दो सप्ताह की देरी हुई है.. लेकिन स्थिति उतनी गम्भीर नहीं है जितनी बताई जा रही है। हम आशा करते हैं कि अगले सप्ताह से बारिश जोर पकड़ेगी।"
पवार ने कहा कि दो जुलाई तक सामान्य से 31 प्रतिशत कम बारिश हुई है। उन्होंने कहा, "मौसम विभाग ने मुझे बताया है कि जुलाई और अगस्त में मानसून अच्छा रहेगा और जून में मानसून में हुई देरी की कमी पूरी हो जाएगी।"
कुछ राज्यों में शुरुआती बुवाई पर असर पड़ा है। पवार ने कहा, "यह सच है कि खास राज्यों में शुरुआती बुवाई पर असर पड़ा है, खासतौर से महाराष्ट्र, कर्नाटक, राजस्थान और मध्य प्रदेश में, तथा उत्तर प्रदेश व बिहार के कुछ हिस्सों में।"
पवार ने कहा कि खरीफ की मुख्य फसल, धान की बुवाई 2011 की बनिस्बत 1.90 लाख एकड़ कम हुई है। उन्होंने आशा जाहिर की कि देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों में अच्छी बारिश से अधिक क्षेत्र में धान की फसल लगाने में मदद मिलेगी।
पवार ने कहा, "धान की बुवाई की स्थिति चिंताजनक नहीं है।" उन्होंने कहा कि मध्य और पश्चिमी हिस्सों में कम बारिश से मक्का, बाजरा और ज्वार की बुवाई पर असर पड़ा है, और इस वर्ष मात्र 14 लाख एकड़ भूमि पर ही इन फसलों की बुवाई हो पाई है, जबकि सामान्यतौर पर 24.70 लाख एकड़ क्षेत्र में इन फसलों की बुवाई होती है।
पवार ने कहा कि दालों की बुवाई पिछले वर्ष की बनिस्बत 2.10 लाख एकड़ कम हुई है। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि इसमें अगले दो सप्ताहों में गति आएगी।कपास की बुवाई सामान्य से 6.50 एकड़ अधिक हुई है और गन्ने की बुवाई सामान्य से 3.00 लाख एकड़ अधिक हुई है।
पवार ने यह भी कहा कि राज्य भी अपनी आपात योजना के साथ तैयार हैं और उनसे तैयार रहने के लिए कहा गया है। पवार ने कहा कि 2011 सर्वोत्तम फसल उत्पादक वर्ष रहा है और एक सामान्य वर्ष से इसकी तुलना की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, "हो सकता है इस वर्ष के हालात पूरी तरह संतोषजनक न हो, लेकिन यह दुख की बात नहीं है।" पवार ने आश्वस्त किया कि देश में अनाज के पर्याप्त भंडार उपलब्ध हैं। 330 लाख टन के बफर नियम के मुकाबले पहली जून को खाद्यान्न भंडार 820 लाख टन था।
उन्होंने कहा, "देश में अनाज का पर्याप्त भंडार है और यदि राज्यों की ओर से मांग हुई, तो सरकार आपूर्ति के लिए तैयार है। सरकार खुले बाजार में प्रवेश करने पर उचित समय पर निर्णय लेगी।"
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