
ताजमहल.
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शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें तहखाने के अंदर
ताजमहल को चमकने का काम शुरू करेगा एएसआई
संगमरमर को चमकाने के लिए नहीं होता केमिकल का उपयोग
मुमताज के लिए शाहजहां ने करीब 350 बरस पहले सफेद संग-ए-मरमर पर मोहब्बत का यह फसाना लिखा था, लेकिन जिन कब्रों की वजह से मकबरे को बनाया गया…वह बदरंग हो गई हैं. शाहजहां और मुमताज की असली कब्रें ताजमहल के तहखाने के अंदर हैं जो साल में सिर्फ एक बार उर्स के लिए खुलती हैं. इस बार ज़ायरीन ने उन्हें देखा तो उनकी हालत देखकर उन्हें तकलीफ़ हुई.
नवाब के वंशज नवाब ज़फर अब्दुल्लाह ने बताया कि ''वो जो तहखाने में कब्रें हैं…अगर आप उन पर नज़र डालें तो वे बिल्कुल पीली हो गई हैं, जैसे हाथी दांत होता है. वह संगमरमर नहीं मालूम होता. वो मालूम होता है कि जैसे हाथी दांत हो. बहुत पीला हाथी दांत हो. जो तहखाने की दीवारें हैं, उसमें ऐसे पैचेस आ गए हैं. यकीन नहीं होता कि वह मार्बल है.''
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ताजमहल वक्त की मार का शिकार है. 350 सालों में इसकी मज़बूती कम हुई है. पिछले दिनों आए अंधड़ में इसके एक गेट की छोटी मीनारें और गुंबद टूटकर गिर गए. एएसआई (आर्कियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) ने उसकी मरम्मत शुरू की है. ताजमहल के मार्बल को चमकाने के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं होता है. इस पर मुलतानी मिट्टी का पैक लगाकर इसे चमकाया जाता है.

INTACH (इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरिटेज) के यूपी चैप्टर के कन्वेनर जयंत कृष्णा के मुताबिक मार्बल को चमकाने के लिए खट्टे फल, बेसन, नीम, तुलसी की पट्टी जैसी कई चीज़ों का इस्तेमाल होता है. INTACH के पास यह तकनीक है, जिसे हम साझा कर सकते हैं. ताजमहल के कंजर्वेशन के लिए INTACH भारत सरकार और एएसआई के साथ सहयोग कर सकता है.
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एएसआई का कहना है कि मई में ताजमहल के बाहरी हिस्से को चमकने का काम शुरू होगा. उसके बाद नीचे कब्रों और उस तहखाने को भी चमकाया जाएगा जहां कब्रें हैं. आगरा के सुप्रिंटेंडिंग आर्कियालाजिस्ट डॉ भुवन विक्रम ने बताया कि ''मार्बल को चमकाने का काम जल्द ही शुरू होगा. मई से ऊपर का काम शुरू होगा. मध्य मई के आसपास शुरू हो जाएगा. अंत तक ऊपर की छतरियों पर काम शुरू हो जाएगा. उसमें हमें ज्यादा लोग, ज्यादा संसाधन लगाने पड़ेंगे. नीचे वेल को उसके बाद चमकाया जाएगा. एक बार ऊपर का काम शुरू हो जाता है, तो उसके बाद नीचे का काम करेंगे.''
VIDEO : बदरंग होती विश्व विरासत
ताजमहल दुनिया के सात अजूबों में अव्वल है…यह यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट है..पिछले साल 60 लाख लोग इसके दीदार को आए. इसके टिकट से करीब 28 करोड़ की सालाना आमदनी होती है.अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने ताजमहल देखने बाद लिखा था कि ”आज मुझे लगा कि दुनिया में दो तरह के लोग हैं. एक वे जिन्होंने ताज देखा है…और दूसरे वे जिन्होंने ताज नहीं देखा.” ताजमहल तो बहरहाल अपने मुल्क का ताज है…और ताज के ऊपर दाग तो दुनिया की कोई भी कौम पसंद नहीं करती है. जाहिर है कि इसे बहुत जल्द ठीक करना होगा.