
नई दिल्ली:
राखी के दिन हर भाई को अपनी बहन और हर बहन को अपने भाई का इंतज़ार रहता है, लेकिन एक बहन ऐसी भी है, जो पिछले 43 सालों से अपने शहीद भाई की स्मारक पर राखी बांधती है।
राखी के दिन अमृतपाल कौर हर साल भारत-पाक सीमा पर ज़ीरो लाइन जाती हैं, जहां उनके शहीद भाई का स्मारक बना है। बीएसएफ की 20 बटालियन में तैनात कंवलजीत सिंह 1971 की जंग में दुश्मनों का मुक़ाबला करते हुए शहीद हो गए थे। बाद में सिंबल पोस्ट पर ही उनका स्मारक बना दिया गया।
भाई की स्मारक पर राखी बांधने के अलावा अमृतपाल वहां तैनात सभी बीएसएफ जवानों को भी राखी बांधती हैं। ऐसे में अपनी बहनों से दूर सीमा पर तैनात जवानों को हर साल अमृतपाल के आने का इंतज़ार रहता है।
राखी के दिन अमृतपाल कौर हर साल भारत-पाक सीमा पर ज़ीरो लाइन जाती हैं, जहां उनके शहीद भाई का स्मारक बना है। बीएसएफ की 20 बटालियन में तैनात कंवलजीत सिंह 1971 की जंग में दुश्मनों का मुक़ाबला करते हुए शहीद हो गए थे। बाद में सिंबल पोस्ट पर ही उनका स्मारक बना दिया गया।
भाई की स्मारक पर राखी बांधने के अलावा अमृतपाल वहां तैनात सभी बीएसएफ जवानों को भी राखी बांधती हैं। ऐसे में अपनी बहनों से दूर सीमा पर तैनात जवानों को हर साल अमृतपाल के आने का इंतज़ार रहता है।
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