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This Article is From Sep 17, 2020

पहले डिजिटल मीडिया को देखना चाहिए : TV मीडिया के लिए गाइडलाइन बनाने के मामले पर केंद्र ने SC से कहा

Electronic Media Guidelines: इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के लिए स्टैंडर्ड तय करने के मामले में आज (गुरुवार) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होनी हैं.

पहले डिजिटल मीडिया को देखना चाहिए :  TV मीडिया के लिए गाइडलाइन बनाने के मामले पर केंद्र ने SC से कहा
Regulating Digital Media First: इस मामले में केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (Electronic Media) के लिए स्टैंडर्ड तय करने के मामले में आज (गुरुवार) सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई होनी हैं. केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पहले डिजिटल मीडिया को देखना चाहिए. मुख्यधारा के मीडिया में प्रकाशन और प्रसारण तो एक बार का कार्य होता है, लेकिन डिजिटल मीडिया की व्यापक रूप से दर्शकों की भारी संख्या, पाठक संख्या तक पहुंच है और इसमें व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक जैसे कई इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के कारण वायरल होने की संभावना रहती है. डिजिटल मीडिया के गंभीर प्रभाव और क्षमता को देखते हुए, यदि सर्वोच्च न्यायालय ने यह अभ्यास करने का फैसला किया है, तो इसे पहले डिजिटल मीडिया के संबंध में किया जाना चाहिए, क्योंकि पहले से ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के संबंध में पर्याप्त रूपरेखा और न्यायिक घोषणाएं मौजूद हैं. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मामलों व मिसालों से संचालित होता है.

याचिका केवल एक चैनल यानी सुदर्शन टीवी तक ही सीमित है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करने से लिए एमिकस क्यूरी या समिति के गठन की कवायद नहीं करनी चाहिए. केंद्र ने कहा कि बोलने की स्वतंत्रता और जिम्मेदार पत्रकारिता के संतुलन का क्षेत्र पहले से ही वैधानिक प्रावधानों और पिछले निर्णयों से संचालित होता है. NBA ने भी हलफनामा दायर किया कि किसी विशेष समुदाय के सांप्रदायिकता के आरोपों के बारे में निजामुद्दीन मरकज मामले में समान मुद्दों पर याचिका मुख्य न्यायाधीश की अदालत में लंबित हैं. NBA ने कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियंत्रित करने वाले नियम और कानून पहले से ही मौजूद हैं.

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उनके पास न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड रेगुलेशन (NBSR) है, जिसमें पूरी तरह से स्वतंत्र नियामक निकाय न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी ( NBSA) स्थापित करने की योजना है. यदि NBSA को पता चलता है कि कोई भी प्रसारण उनके आचार संहिता या नियमों के खिलाफ है, तो एक जांच आयोजित की जाती है जिसके बाद चैनल को सुना जाता है. दोषी पाए जाने पर ब्रॉडकास्टर पर अधिकतम 1 लाख का जुर्माना लगाया जाता है. NBA ने अदालत को  लाइसेंस के निरस्तीकरण या निलंबन के लिए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के कदम की भी जानकारी दी है. प्रसारकों को भी सेंसर किया जाता है. NBA ने आगे कहा है कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया से अलग है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को नियंत्रित करने वाले नियम और कानून पहले से मौजूद हैं.

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