सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आपराधिक अवमानना की कार्यवाही का (Contempt proceedings) सामना कर रहे वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Senior advocate Prashant Bhushan) ने सर्वोच्च अदालत में हलफनामा (Affidavit) पेश किया है जिसमें उन्होंने कहा है कि भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की आलोचना शीर्ष अदालत को नाराज नहीं करती या उसका अधिकार कम करती है. प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रविवार को यह हलफनामे में प्रस्तुत किया, इसमें उन्होंने यह भी कहा कि यह सुझाव देना कि CJI सर्वोच्च न्यायालय है और सर्वोच्च न्यायालय CJI है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संस्था को कमजोर करना है.
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वतः संज्ञान लेते हुए प्रशांत भूषण के खिलाफ अदालत की अवमानना का केस दर्ज किया था. बाद में एक याचिका भी दाखिल की गई थी जिसमें प्रशांत के दो ट्वीट को लेकर अवमानना कार्यवाही का अनुरोध किया गया था.
हलफनामे में कहा गया है, "CJI के कार्यों की आलोचना, या CJI का उत्तराधिकार पर कमेंट को कोर्ट को डराना नहीं माना जा सकता है और न ही यह कोर्ट के अधिकार को कम करता है. यह मानना या सुझाव देना कि CJI (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) SC (सुप्रीम कोर्ट) है, और SC (सुप्रीम कोर्ट), CJI (चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया) है, भारत के सर्वोच्च न्यायालय की संस्था को कमजोर करने की तरह है. प्रशांत भूषण ने कहा कि मोटरसाइकिल पर सवार भारत के मुख्य न्यायाधीश के बारे में उनका ट्वीट पिछले तीन महीनों से भी अधिक समय से सुप्रीम कोर्ट के वर्चुअल कामकाज (गैर फिजिकल फंक्शनिंग) को लेकर उनकी पीड़ा को रेखांकित करने वाला था.
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