जम्मू-कश्मीर में पिछले छह दिनों में कश्मीरी पंडित, सिख और मुस्लिम समुदायों के लोगों सहित सात नागरिकों की हत्या के जवाब में सुरक्षा बलों ने 700 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया है. माना जा रहा है कि हिरासत में लिए गए लोगों में से कईयों के प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी समूह से संबंध हैं या वे संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) की लिस्ट में हैं. ये श्रीनगर, गांदरबल, बडगाम और दक्षिणी कश्मीर के अन्य क्षेत्रों से ताल्लुक रखते हैं.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि उन्हें '(कश्मीर) घाटी में हो रहे हमलों को लेकर हिरासत में लिया गया है. अधिकारी ने यह भी कहा कि तालिबान की सत्ता में वापसी के बाद कट्टरपंथ में इजाफे की वजह से भी हमले हो सकते हैं. और हत्यारे 'आसान' टारगेट्स को निशाने पर ले रहेहैं.
लगातार हो रही हत्या की घटनाओं को लेकर कश्मीर घाटी में बड़े पैमाने पर तनाव पहले से ही है. विपक्षी नेताओं और स्थानीय लोगों ने हमलों को रोकने में प्रशासन की नाकामी को लेकर निशाना साधा है. सबसे हालिया मौतें दो सरकारी शिक्षकों - सुंदर कौर (एक सिख) और दीपक चंद (एक हिंदू) की थीं, जिनकी गुरुवार को श्रीनगर में बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
मंगलवार को, श्रीनगर के इकबाल पार्क में एक बड़े स्थानीय व्यवसायी और एक फार्मेसी के मालिक 70 वर्षीय माखन लाल बिंदू को उनके स्टोर के अंदर गोली मार दी गई थी. उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
एक कश्मीरी पंडित बिंदरू जब 1990 के दशक में आतंकवाद चरम पर था तब भी कश्मीर में रहे. मंगलवार को मारे गए दो अन्य लोगों में बांदीपोरा में एक टैक्सी चालक मोहम्मद शफी और श्रीनगर में एक स्ट्रीट फूड विक्रेता बिहार के वीरेंद्र पासवान थे.
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