उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ हुए कथित गैंगरेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दूसरी जनहित याचिका दायर की गई है. ये याचिका सुषमा मौर्या ने दाखिल की है. याचिका में कोर्ट से इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की मांग की गई है. साथ ही मामले में लीपापोती करने वाले और बाद में मामले में लोगों को गुमराह करने वाले और जबरन पीड़िता का अंतिम संस्कार करने वाले दोषी पुलिस, प्रशासनिक व मेडिकल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
याचिका में हाई कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच कराने की भी मांग की गई है ताकि दोषी बच न पाए. इसके अलावा याचिकाकर्ता ने देशभर के लिए दिशा-निर्देश बनाने की भी मांग की है, ताकि भविष्य में किसी भी पीड़ित परिवार का कानून से भरोसा न उठे, जैसा हाथरस के परिवार का उठा है. आरोप है कि हाथरस के पीड़ित परिवार पर अधिकारी जबरन मनमाफिक बयान देने के लिए दबाव बना रहे हैं.
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बता दें कि गैंगरेप की पीड़िता 20 वर्षीय दलित युवती का अंतिम संस्कार आनन-फानन में रात के अंधेरे में करने पर हाथरस जिला प्रशासन चौतरफा घिरा हुआ है. लोग योगी सरकार की आलोचना कर रहे हैं. जिला प्रशासन ने मीडिया की एंट्री पर भी बैन लगा रखा था. इसकी आलोचना होने के बाद अब मीडिया को एंट्री दे दी गई है लेकिन राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों के प्रवेश पर अभी भी प्रतिबंध लगा हुआ है.
मीडिया को पीड़िता के गांव जाने की अनुमति, परिवार को घर में कैद करने का आरोप निराधार : अधिकारी
इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर राज्य के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी हाथरस पीड़ित परिवार से मिलने और हालात का जायजा लेने गांव पहुंचे हैं. योगी सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है और सात दिनों में रिपोर्ट मांगी है.
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