चिराग पासवान
नई दिल्ली:
एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर सोमवार को नाराज हुई एलजेपी मंगलवार को मान गई। पार्टी नेता और जमुई से सांसद चिराग पासवान ने एक प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर इस बात की सफाई दी कि एलजेपी की नाराजगी की कभी कोई बात ही नहीं थी। हालांकि इतना कहते-कहते भी वे अपने मन की टीस बता गए। कहा कि सीटों के बंटवारे के लिए पहले जो फार्मूला बताया गया था उस पर चला नहीं गया। यानि गंठबंधन में किस पार्टी को कितनी तक सीट मिलेगी इसकी सीमा पहले ही तय हो चुकी थी।
मजबूरी के पीछे छिपी एलजेपी की टीस
चिराग का इशारा साफ है कि मांझी और कुशवाहा की पार्टी के लिए जो सीट सीमा तय की गई थी उससे ऊपर जाकर उन्हें सीटें दी गई हैं। बीजेपी ने मांझी को 20 और कुशवाहा को 23 सीटें दी हैं। पहले अभिनेता रहे चिराग पासवान एक मंजे हुए नेता की तरह कहते हैं कि मांझी और कुशवाहा को जितनी भी सीटें मिलें, उन्हें कोई आपत्ति नहीं क्योंकि वे गठबंधन को मजबूती देने के लिए ही साथ हैं। लेकिन साथ ही वे यह भी संदेश देते हैं कि इस हिसाब से एलजेपी को और सीटें मिलनी चाहिए थी। फिर वे गठबंधन घर्म का हवाला देकर कहते हैं कि एलजेपी ने सीटों की तादाद को कभी मुद्दा नहीं बनाया। जो सीटें मिलीं पार्टी ने उसे मान लिया। लेकिन जब ‘हम’ जैसी नई नवेली पार्टी को इतनी सीटें दी जा सकती हैं तो फिर एलजेपी की दावेदारी तो और बनती है। हालांकि वे फिर कहते हैं कि बीजेपी की मजबूरी वे समझते हैं जिसे बिहार की तीन बड़ी पार्टियों के साथ तालमेल बिठाना पड़ रहा है।
जमुई की दो सीटों को बनाया प्रतिष्ठा का सवाल
चिराग पासवान का कहना है कि एलजेपी ने अभी यह मुद्दा छोड़ा नहीं है कि एलजेपी छोड़कर जाने वालों को मांझी की पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाए। इन नेताओं के नाम लिखित तौर पर बीजेपी को सौंप दिए गए हैं ताकि बीजेपी किसी भी तरह से उन्हें उम्मीदवार बनने से रोके। हालांकि कौन सी सीट से कौन सी पार्टी लड़ेगी, इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है, लेकिन जमुई की दो सीटों को एलजेपी ने नाक का सवाल बना लिया है जिस पर एलजेपी से अलग हुए नरेन्दर सिंह के बेटों की उम्मीदवारी की संभावना जताई जा रही है।
एलजेपी फिलहाल बीजेपी की तरफ उम्मीद की निगाह से देख रही है। बीजेपी ने डंडी मार भी दी तो एलेजेपी के पास और कोई चारा नहीं। केन्द्र सरकार में पिता रामविलास पासवान कैबिनेट मंत्री हैं। वे भी तब, जब बीजेपी अपने बूते सरकार चलाने की हैसियत रखती है। एलजेपी के पास फिलहास कोई बारगेन पावर नजर नहीं आता।
मजबूरी के पीछे छिपी एलजेपी की टीस
चिराग का इशारा साफ है कि मांझी और कुशवाहा की पार्टी के लिए जो सीट सीमा तय की गई थी उससे ऊपर जाकर उन्हें सीटें दी गई हैं। बीजेपी ने मांझी को 20 और कुशवाहा को 23 सीटें दी हैं। पहले अभिनेता रहे चिराग पासवान एक मंजे हुए नेता की तरह कहते हैं कि मांझी और कुशवाहा को जितनी भी सीटें मिलें, उन्हें कोई आपत्ति नहीं क्योंकि वे गठबंधन को मजबूती देने के लिए ही साथ हैं। लेकिन साथ ही वे यह भी संदेश देते हैं कि इस हिसाब से एलजेपी को और सीटें मिलनी चाहिए थी। फिर वे गठबंधन घर्म का हवाला देकर कहते हैं कि एलजेपी ने सीटों की तादाद को कभी मुद्दा नहीं बनाया। जो सीटें मिलीं पार्टी ने उसे मान लिया। लेकिन जब ‘हम’ जैसी नई नवेली पार्टी को इतनी सीटें दी जा सकती हैं तो फिर एलजेपी की दावेदारी तो और बनती है। हालांकि वे फिर कहते हैं कि बीजेपी की मजबूरी वे समझते हैं जिसे बिहार की तीन बड़ी पार्टियों के साथ तालमेल बिठाना पड़ रहा है।
जमुई की दो सीटों को बनाया प्रतिष्ठा का सवाल
चिराग पासवान का कहना है कि एलजेपी ने अभी यह मुद्दा छोड़ा नहीं है कि एलजेपी छोड़कर जाने वालों को मांझी की पार्टी का उम्मीदवार बनाया जाए। इन नेताओं के नाम लिखित तौर पर बीजेपी को सौंप दिए गए हैं ताकि बीजेपी किसी भी तरह से उन्हें उम्मीदवार बनने से रोके। हालांकि कौन सी सीट से कौन सी पार्टी लड़ेगी, इस पर अंतिम फैसला होना बाकी है, लेकिन जमुई की दो सीटों को एलजेपी ने नाक का सवाल बना लिया है जिस पर एलजेपी से अलग हुए नरेन्दर सिंह के बेटों की उम्मीदवारी की संभावना जताई जा रही है।
एलजेपी फिलहाल बीजेपी की तरफ उम्मीद की निगाह से देख रही है। बीजेपी ने डंडी मार भी दी तो एलेजेपी के पास और कोई चारा नहीं। केन्द्र सरकार में पिता रामविलास पासवान कैबिनेट मंत्री हैं। वे भी तब, जब बीजेपी अपने बूते सरकार चलाने की हैसियत रखती है। एलजेपी के पास फिलहास कोई बारगेन पावर नजर नहीं आता।
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