सुप्रीम कोर्ट में पहली बार बुधवार को हाईकोर्ट के मौजूदा जज जस्टिस सीएस करनन के खिलाफ मामले की सुनवाई होगी (जस्टिस सीएस करनन- फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार सात जजों की बेंच हाईकोर्ट के वर्तमान जज के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले की सुनवाई करेगी. बुधवार को इस मामले की सुनवाई होगी. मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है.
सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस करनन के खिलाफ अवमानना की सुनवाई होगी. जस्टिस करनन ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवमानना मानकर सुनवाई करने का फैसला किया है.
जस्टिस करनन पहले भी विवादों में रहे हैं, जब उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में रहते हुए अपने ही चीफ जस्टिस के खिलाफ आदेश जारी किए थे. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के कोलेजियम के उन्हें मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के फैसले पर खुद ही स्टे कर दिया था.
प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी
जस्टिस करनन ने 23 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में कहा है कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन न्यायपालिका में मनमाने और बिना डर के भ्रष्टाचार हो रहा है. इसकी किसी एजेंसी से जांच होनी चाहिए. चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व 20 जजों के नाम भी लिखे गए हैं.
विवादों में रहे हैं जस्टिस करनन
जस्टिस करनन पहले भी विवादों में रहे हैं. सन 2011 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में साथी जज के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने की शिकायत दर्ज करा दी थी. वर्ष 2014 में मद्रास हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर वे तत्कालीन चीफ जस्टिस के चेंबर में घुस गए थे और बदतमीजी की थी.
अपने ट्रांसफर आदेश पर खुद स्टे किया
साल 2016 फरवरी में जस्टिस करनन ने सीजेआई टीएस ठाकुर की अगुवाई वाले कोलेजियम के मद्रास हाईकोर्ट से कोलकाता हाईकोर्ट के ट्रांसफर आदेश को खुद ही स्टे कर दिया था. लेकिन बाद में उन्होंने पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने यह आदेश जारी कर गलती की क्योंकि वे मानसिक रूप से परेशान थे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 11 मार्च 2016 तक कोलकाता हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया था. कोलकाता हाईकोर्ट जाने के बाद भी उन्होंने सरकारी बंगला नहीं लौटाया और केसों से जुड़ी फाइले भी नहीं लौटाईं. इसे लेकर मद्रास हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर जस्टिस करनन को प्रशासनात्मक कार्य न देने को कहा है.
जस्टिस करनन ने सीजेआई और कोलेजियम को उनका ट्रांसफर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 13 फरवरी को वे कोर्ट में दो जजों का बेंच के सामने पेश होकर इस बारे में दलील रखेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सीएस करनन के खिलाफ अवमानना की सुनवाई होगी. जस्टिस करनन ने कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कई जजों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए जांच की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे अवमानना मानकर सुनवाई करने का फैसला किया है.
जस्टिस करनन पहले भी विवादों में रहे हैं, जब उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में रहते हुए अपने ही चीफ जस्टिस के खिलाफ आदेश जारी किए थे. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई के कोलेजियम के उन्हें मद्रास से कोलकाता हाईकोर्ट ट्रांसफर करने के फैसले पर खुद ही स्टे कर दिया था.
प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी
जस्टिस करनन ने 23 जनवरी 2017 को प्रधानमंत्री को लिखी गई चिट्ठी में कहा है कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम हुआ है लेकिन न्यायपालिका में मनमाने और बिना डर के भ्रष्टाचार हो रहा है. इसकी किसी एजेंसी से जांच होनी चाहिए. चिट्ठी में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान और पूर्व 20 जजों के नाम भी लिखे गए हैं.
विवादों में रहे हैं जस्टिस करनन
जस्टिस करनन पहले भी विवादों में रहे हैं. सन 2011 में उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में साथी जज के खिलाफ जातिसूचक शब्द कहने की शिकायत दर्ज करा दी थी. वर्ष 2014 में मद्रास हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति को लेकर वे तत्कालीन चीफ जस्टिस के चेंबर में घुस गए थे और बदतमीजी की थी.
अपने ट्रांसफर आदेश पर खुद स्टे किया
साल 2016 फरवरी में जस्टिस करनन ने सीजेआई टीएस ठाकुर की अगुवाई वाले कोलेजियम के मद्रास हाईकोर्ट से कोलकाता हाईकोर्ट के ट्रांसफर आदेश को खुद ही स्टे कर दिया था. लेकिन बाद में उन्होंने पत्र लिखकर कहा कि उन्होंने यह आदेश जारी कर गलती की क्योंकि वे मानसिक रूप से परेशान थे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 11 मार्च 2016 तक कोलकाता हाईकोर्ट जाने का आदेश दिया था. कोलकाता हाईकोर्ट जाने के बाद भी उन्होंने सरकारी बंगला नहीं लौटाया और केसों से जुड़ी फाइले भी नहीं लौटाईं. इसे लेकर मद्रास हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी कर जस्टिस करनन को प्रशासनात्मक कार्य न देने को कहा है.
जस्टिस करनन ने सीजेआई और कोलेजियम को उनका ट्रांसफर करने के अधिकार को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 13 फरवरी को वे कोर्ट में दो जजों का बेंच के सामने पेश होकर इस बारे में दलील रखेंगे.
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