राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान बसों को खड़ा करने के लिए बनाया गया थाअस्थाई मिलेनियम बस डिपो
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रमंडल खेल गांव में बने दिल्ली यातायात विभाग के मिलेनियम बस डिपो को खाली करने का फरमान जारी किया है. कोर्ट ने इसके लिए दिल्ली सरकार को 4 फरवरी तक का समय दिया है. यह बस डिपो युमना नदी के क्षेत्र में बना हुआ है.
डिपो को खाली करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मिलेनियम बस डिपो बाढ़ क्षेत्र आता है या फिर यमुना रिवर साइड में, यह राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) तय करे.
कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मिलेनियम बस डिपो बाढ़ क्षेत्र में आता है तो उसकी मौजूदगी को वैध बनाने के लिए राज्य सरकार मास्टर प्लान में संशोधन कर सकती है.
दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने कोर्ट को बताया कि बस डिपो के कुछ हिस्से को खाली कर दिया गया है लेकिन अभी भी वहां क्लस्टर बस खड़ी होती हैं. इस पर कोर्ट ने कहा, 'आपको वहां से क्लस्टर बस भी हटानी होंगी.'
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने डिपो को हटाने को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि उक्त स्थल को खाली कराया जाएगा.
पिछले साल पांच फरवरी को राजधानी में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान 100 करोड़ की लागत से बने मिलेनियम डिपो को हटाए जाने के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिल्ली सरकार से कहा था कि या तो मास्टर प्लान में बदलाव करें नहीं तो, एक साल के भीतर डिपो को वहां से हटाइये. कोर्ट से साफ़ कहा था कि इसके लिए कोई अतरिक्त समय नहीं मिलेगा.
पढ़ें- मिलेनियम डिपो 27 जनवरी तक खाली करे डीटीसी : हाईकोर्ट
मामले की सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि 15 जनवरी, 2014 को दिल्ली सचिवालय में हुई एक बैठक के दस्तावेज बता रहे हैं कि डिपो खाली करने पर समर्थन हुआ था और अब सरकार इसका उल्टा कह रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मास्टर प्लान के मुताबिक, ये इलाका बाढ़ क्षेत्र है, इसमें डिपो नहीं बना सकते. जब डीटीसी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट आई है तो दिल्ली सरकार ने अर्जी क्यों दी है.? कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में एक जगह ही बस डिपो के लिए 500 एकड़ जमीन नहीं दी जा सकती और ना ही सुप्रीम कोर्ट घूम-घूमकर जांच कर सकता कि कहां केस चल रहा है.
बता दें कि साल 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान बसों को खड़ा करने के लिए इस डिपो के अस्थाई निर्माण की अनुमति दी गई थी.
डिपो को खाली करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने साफ कर दिया है कि मिलेनियम बस डिपो बाढ़ क्षेत्र आता है या फिर यमुना रिवर साइड में, यह राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) तय करे.
कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर मिलेनियम बस डिपो बाढ़ क्षेत्र में आता है तो उसकी मौजूदगी को वैध बनाने के लिए राज्य सरकार मास्टर प्लान में संशोधन कर सकती है.
दिल्ली ट्रांसपोर्ट विभाग ने कोर्ट को बताया कि बस डिपो के कुछ हिस्से को खाली कर दिया गया है लेकिन अभी भी वहां क्लस्टर बस खड़ी होती हैं. इस पर कोर्ट ने कहा, 'आपको वहां से क्लस्टर बस भी हटानी होंगी.'
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने डिपो को हटाने को लेकर दिल्ली सरकार की खिंचाई करते हुए कहा था कि मुख्यमंत्री ने ऑन रिकॉर्ड कहा था कि उक्त स्थल को खाली कराया जाएगा.
पिछले साल पांच फरवरी को राजधानी में राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान 100 करोड़ की लागत से बने मिलेनियम डिपो को हटाए जाने के मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए दिल्ली सरकार से कहा था कि या तो मास्टर प्लान में बदलाव करें नहीं तो, एक साल के भीतर डिपो को वहां से हटाइये. कोर्ट से साफ़ कहा था कि इसके लिए कोई अतरिक्त समय नहीं मिलेगा.
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मामले की सुनवाई में कोर्ट ने दिल्ली सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था कि 15 जनवरी, 2014 को दिल्ली सचिवालय में हुई एक बैठक के दस्तावेज बता रहे हैं कि डिपो खाली करने पर समर्थन हुआ था और अब सरकार इसका उल्टा कह रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मास्टर प्लान के मुताबिक, ये इलाका बाढ़ क्षेत्र है, इसमें डिपो नहीं बना सकते. जब डीटीसी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट आई है तो दिल्ली सरकार ने अर्जी क्यों दी है.? कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में एक जगह ही बस डिपो के लिए 500 एकड़ जमीन नहीं दी जा सकती और ना ही सुप्रीम कोर्ट घूम-घूमकर जांच कर सकता कि कहां केस चल रहा है.
बता दें कि साल 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान बसों को खड़ा करने के लिए इस डिपो के अस्थाई निर्माण की अनुमति दी गई थी.
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