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This Article is From Nov 02, 2015

मनरेगा के ठीक तरीके से अमल नहीं होने के मामले में केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

मनरेगा के ठीक तरीके से अमल नहीं होने के मामले में केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने रोजगार गारंटी योजना मनरेगा के तहत समय से पारिश्रमिक और मुआवजे के भुगतान तथा दूसरी जिम्मेदारियों के मामले में ठीक से अमल नहीं होने से संबंधित एक जनहित याचिका का संज्ञान लिया और इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब-तलब किया।

प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने ग्रामीण विकास मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुए कहा, 'राज्यों को सजग होना चाहिए और तत्परता से भुगतान करना चाहिए।' पीठ ने वकील प्रशांत भूषण को बीच में टोकते हुए कहा, 'यह पारिश्रमिक और मुआवजे के भुगतान में विलंब से संबंधित मसला है।'

भूषण इस मामले में और दलीलें पेश करना चाहते थे। पीठ ने कहा, 'हमने और कुछ सुने बगैर ही पहले नोटिस जारी कर दिया है। यदि आप कुछ और दलीलें पेश करना चाहते हैं तो उन्हें सुनवाई की अगली तारीख के लिए बचाकर रखिए।' शीर्ष अदालत आरटीआई कार्यकर्ता अरुणा राय और सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे तथा पूर्व नौकरशाह ललित माथुर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

इस याचिका में मनरेगा के लिए एक स्वतंत्र सोशल ऑडिट इकाई गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध गया है। याचिकाकर्ताओं का दावा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) में व्याप्त अनियमितताओं ने ग्रामीण भारत के लोगों के लिए आजीविका मुहैया कराने के उद्देश्य को ही निरर्थक बना दिया है।

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