स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की अवमानना (Contempt of Court) की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई हुई है, जिसमें कोर्ट ने कामरा को कारण बताओ नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने कामरा से 6 हफ्ते में जवाब मांगा है कि आखिर क्यों उनके खिलाफ अवमानना का केस न चलाया जाए. हालांकि, कामरा को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी गई है.
कामरा के अलावा एक दूसरे अवमानना मामले में कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है. उनसे भी 6 हफ्ते में जवाब मांगा गया है. अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के शीर्ष अदालत के खिलाफ ट्वीट्स के लिए कार्टूनिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने के बाद याचिका दाखिल की गई थी, जिसे मंजूरी मिल गई थी.
कामरा के खिलाफ कोर्ट की अवमानना के मामले में याचिका डालने वाले याचिकाकर्ता के वकील निशांत कातनेश्वरकर ने कहा था कि उनके पोस्ट ने जनता की नज़र में न्यायपालिका के सम्मान को कम किया है और ये अपमानजनक हैं. याचिकाकर्ता ने कुणाल के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से अप्रूवल मांगा था. AG ने कहा था कुणाल के ट्वीट अवमानना के दायरे में आते हैं और उन्होंने ने कॉमेडियन के खिलाफ एक और ट्वीट के लिए अवमानना का केस चलाने की अनुमति दे दी थी.
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18 नवंबर को किए गए कामरा के ट्वीट के लिए अवमानना की कार्रवाई के लिए अपनी सहमति प्रदान करते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि यह 'घोर अशिष्ट और निंदनीय' था और सुप्रीम कोर्ट के अधिकार को कमतर करने की कोशिश थी. कामरा ने इस ट्वीट में CJI के बारे में उंगली के ज़रिए अश्लील और अपमानजनक इशारा किया था. इससे पहले कामरा ने पत्रकार
अर्नब गोस्वामी को जमानत मिलने के बाद जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पर अपमानजनक टिप्पणी की थी.
वरिष्ठ कानून अधिकारी ने इस मामले में भी कुणाल कामरा के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की अनुमति दी थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा गया था कि वे 'बैड टेस्ट' में थे. अर्नब गोस्वामी को अग्रिम जमानत देने के बाद कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ आपत्तिजनक ट्वीट किए थे.
बता दें कि किसी भी शख्स के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई के लिए, कंटेंप्ट ऑफ कोर्ट एक्ट 1975 की धारा 15 के तहत अटार्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति जरूरी होती है.
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