SC का आदेश, जस्टिस श्रीकृ्ष्णा की अध्यक्षता वाली कमेटी संभालेगी गोकर्ण महाबलेश्‍वर मंदिर का प्रशासन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक वह इस मामले में अंतिम फैसला नहीं देता, कमेटी ही मंदिर का कामकाज देखेगी. रामचंद्र मठ को 15 दिनों में मंदिर प्रशासन को कमेटी को सौंपने के आदेश दिया गया है.

SC का आदेश, जस्टिस श्रीकृ्ष्णा की अध्यक्षता वाली कमेटी संभालेगी गोकर्ण महाबलेश्‍वर मंदिर का प्रशासन

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कमेटी मंदिर की प्रथा और परंपरा के आधार पर काम करेगी (प्रतीकात्‍मक फोटो)

खास बातें

  • सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक यह कमेटी देखेगी काम
  • कहा, मंदिर की प्रथा और परंपरा के आधार पर काम करेगी कमेटी
  • रामचंद्र मठ को मंदिर प्रशासन को कमेटी को सौंपने को कहा गया
नई दिल्ली:

कर्नाटक स्थित गोकर्ण महाबलेश्वर देवस्थान के प्रशासन (Gokarna Mahabaleshwar Temple Management) को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का अंतरिम आदेश आ गया है. सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज जस्टिस बीएन श्रीकृ्ष्णा की अध्यक्षता में निगरानी कमेटी मंदिर का प्रशासन करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक वह (सुप्रीम कोर्ट) इस मामले में अंतिम फैसला नहीं देता, कमेटी ही मंदिर का कामकाज देखेगी. रामचंद्र मठ को 15 दिनों में मंदिर प्रशासन को कमेटी को सौंपने के आदेश दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कमेटी मंदिर की प्रथा और परंपरा के आधार पर काम करेगी.

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सुप्रीम कोर्ट ये तय करना था कि मंदिर का प्रशासन फिलहाल कौन संभालेगा. दरअसल अगस्त 2018 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने गोकर्ण महाबलेश्वर देवस्थान को सरकारी नियंत्रण से रामचन्द्रपुरम मठ को सुपुर्द करने के बारे में राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश को रद्द कर दिया था. अदालत ने रामचन्द्रपुरम मठ को हस्तांतरित करने के तत्कालीन भाजपा सरकार के कदम को गैरकानूनी करार देते हुए मंदिर प्रबंधन के लिए समिति का गठन करने के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि 2008 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस मंदिर को देवस्थान विभाग से वापस लेकर रामचंद्रपुरम मठ को हस्तांतरित कर दिया था. मंदिर के हस्तांतरण के आदेश के खिलाफ बालचन्द्र दीक्षित नामक व्यक्ति ने रिट याचिका दायर की जिसे हाईकोर्ट की खंड पीठ ने स्वीकार कर लिया.

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याचिका पर सुनवाई पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने राय जताई कि मंदिर को देवस्थान विभाग से लेकर मठ को सौंपने का कदम गलत है. न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश बीएन कृष्णा के नेतृत्व में देवस्थान की प्रभारी समिति का गठन करने के आदेश दिए और कहा कि जिलाधिकारी इस प्रभारी समिति के अध्यक्ष होंगे. इसके साथ ही न्यायालय ने उत्तर कन्नड़ जिले के जिलाधिकारी को एक सप्ताह के भीतर मंदिर का सारा लेखा-जोखा कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए, वहीं सितंबर 2018 में गोकर्ण स्थित महाबलेश्वर मंदिर को सरकार के कब्जे में सौंपने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की रामचन्द्रपुरम मठ की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया था, जिसके बाद उत्तर कन्नड़ जिला प्रशासन ने इस मंदिर को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया था. कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस देवस्थान को रामचन्द्रपुरम मठ के कब्जे से सरकारी नियंत्रण में सौंपने का आदेश दिया था. इस आदेश को मठ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, शीर्ष न्यायालय ने तत्काल सुनवाई से मना कर दिया, जिसके बाद सरकार ने इस देवस्थान को अपने अधिकार क्षेत्र में ले लिया है. इस तरह 10 सालों के अंतराल के बाद यह मंदिर फिर से सरकारी नियंत्रण में आ गया.