सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सामान्य वकीलों की तुलना में बड़े वकीलों और प्रभावशाली लोगों के मुकदमों को सुनवाई के लिए जल्दी लिस्ट किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज कर दी है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता वकील रीपक कंसल पर 100 रुपए का जुर्माना भी लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि बार के किसी सदस्य को रजिस्ट्री (Supreme Court's Registry) पर इस तरह का आरोप नहीं लगाना चाहिए. इस मामले में दायर याचिका में वकील ने आरोप लगाया था कि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए मामलों को सूचीबद्ध करने में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री के अधिकारी बड़े वकीलों और प्रभावशाली याचिकाकर्ताओं के मामलों को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में प्राथमिकता देते हैं.
जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने याचिकाकर्ता वकील रीपक कंसल द्वारा दायर इस जनहित याचिका पर 19 जून को फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिका में सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि कोविड-19 के इन हालात में जब वर्चुअल अदालतें काम कर रही हैं तो सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया में प्रभावशाली वकीलों और याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर मामलों को प्राथमिकता न दी जाए.
याचिका में यह भी कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री के ऐसे अधिकारियों के खिलाफ शिकायतों का निपटारा करने का कोई तंत्र नहीं है जो कुछ कानूनी फर्मो और वकीलों का पक्ष लेते हैं. साथ ही अधिकारियों को ये निर्देश देने की मांग भी की गई है कि वे सामान्य वकीलों या याचिकाकर्ताओं के मामलों में अनावश्यक खामियां न निकाला करें और अतिरिक्त कोर्ट फीस व अन्य शुल्क वापस किए जाएं. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ताओं और वकीलों के फायदे के लिए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री दिन-रात काम कर रही है.
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