सऊदी तेल प्लांट पर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में उथल-पुथल बढ़ती जा रही है. मंगलवार को कच्चा तेल 13 फीसदी से ज़्यादा महंगा हो गया. ये संकट भारत के लिए एक नई चुनौती है. मंगलवार को शेयर बाज़ार 600 अंकों से ज़्यादा गिरा. सऊदी अरब के सबसे बड़े तेल कारख़ाने पर हुआ ये हमला भारत की आर्थिक सेहत पर भी असर डालता दिख रहा है. फ़िक्र तेल आपूर्ति की नहीं, तेल की क़ीमतों की है. भारत को आश्वासन मिल चुका है कि तेल की सप्लाई नहीं रुकेगी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में कच्चा तेल मंगलवार को 7.84 डॉलर प्रति बैरल महंगा हो गया. हालांकि सरकार का दावा है कि भारत 70 से 75 डॉलर बैरल के दाम से निबटने की क्षमता रखता है. लेकिन अगर संकट लंबा खिंचा तो एक डॉलर प्रति बैरल बढ़ने का मतलब भारत पर सालाना, 10,700 करोड़ डॉलर का बोझ बढ़ना है.
सऊदी अरब भारत को तेल एक्सपोर्ट करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है. अरामको के तेल प्लांट पर हमले से उसका तेल उत्पादन प्रति दिन 57 लाख बैरल घट गया है. तेल अर्थशास्त्री किरीट पारिख ने एनडीटीवी से कहा, 'सऊदी अरब तेल संकट का असर भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर पड़ेगा. भारत 80 फीसदी तेल आयात करता है. पिछले कुछ दिनों में कच्चा तेल 20 डॉलर प्रति बैरल तक महंगा हो गया है. ऐसे में पेट्रोल और डीजल भारत में महंगा होना तय है. भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर कितना असर पड़ेगा ये तो इस बात पर निर्भर करेगा कि सऊदी अरब कितनी जल्दी उत्पादन में कमी को पूरा कर पाता है और भारत क्या ईरान जैसे देश से फिर तेल आयात कर पाता है या नहीं.' मंगलवार को शेयर बाज़ार की गिरावट बता रही है कि इस संकट को भारत में महसूस किया जा रहा है.
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कई बार किसी खास समूह के लोग अपनी मांग को लेकर ट्वीट करने लगते हैं और ट्रेंड बन जाता है. ऐसा समां बांधा जाता है कि इस वक्त देश में यही बड़ी घटना है. पर क्या जब आम लोग अपनी समस्या को लेकर ट्वीट करते हैं, ट्रेंड कराते हैं तो मीडिया और सरकार उन्हें तवज्जो देती है?
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