लाहौर / नई दिल्ली / चंडीगढ़:
पाकिस्तान में फांसी की सजा पाए कैदी सरबजीत सिंह की हालत शनिवार को और बिगड़ गई। शुक्रवार को लाहौर की कोट लखपत जेल में अन्य कैदियों द्वारा कातिलाना हमले में वह बुरी तरह जख्मी हो गया जिसके बाद उसे लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वह अभी कोमा में है।
इस बीच, सरबजीत के परिवार के चार सदस्यों उसकी रिहाई के लिए मुहिम चलाने वाली उसकी बहन दलबीर कौर, सरबजीत की पत्नी और उसकी दो बेटियों को पाकिस्तान यात्रा का वीजा शनिवार को जारी कर दिया गया।
दलबीर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष राजकुमार वेरका से मुलाकात कर शीघ्र वीजा दिलाने की मांग की थी। चारों शनिवार की सुबह पंजाब के भिखीविंड से अमृतसर पहुंच गए।
दलबीर ने कहा कि उनका वीजा व अन्य यात्रा दस्तावेज शनिवार दोपहर बाद तक अमृतसर पहुंच जाएगा जिसके बाद वे लोग रविवार की सुबह वाघा सीमा से पैदल पाकिस्तान में दाखिल होंगे।
दलबीर कौर ने कहा, "हम इस मुश्किल घड़ी में सरबजीत के पास रहना चाहते हैं। वह पूरी तरह अकेला है। हमें यह भी नहीं पता कि उसकी हालत इस समय कैसी है। हमे केवल मीडिया और उनके वकील के जरिए जानकारी मिल रही है।"
उधर, लाहौर के जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का उपचार कर रहे चिकित्सकों के मुताबिक शनिवार को उसकी हालत और बिगड़ गई। सरबजीत अभी तक कोमा में है।
सरबजीत के इलाज के लिए एक अलग कमरे को अस्थाई रूप से आईसीयू में तब्दील कर दिया गया है।
वेरका से मिलने गई दलबीर की भी तबियत शनिवार को खराब हो गई। दलबीर ने बेचैनी और सीने में दर्द की शिकायत की। डॉक्टरों ने उनका परीक्षण किया।
दलबीर का उपचार करने वाले डॉक्टर ने बताया, "उनका रक्तचाप बढ़ा हुआ है और सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। मैंने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। हम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं।"
सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर और दो बेटियां पूनम और स्वप्नदीप कौर दलबीर के साथ हैं।
सरबजीत पर जानलेवा हमले से मर्माहत उनकी बहन दलबीर कौर ने आरोप लगाया कि सरबजीत को ऐसे ही एक हमले में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें पहले ही उनके साथी कैदियों ने मारने की धमकी दी थी।
दलबीर ने कहा, "यदि हमारी सरकार ने आवश्यक कदम उठाए होते तो यह हमला नहीं हुआ होता। मैंने गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे और विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर और अन्य को पत्र के जरिए अवगत कराया था कि सरबजीत पर हमला हो सकता है। लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया और सरबजीत पर हमला हुआ।"
वहीं, मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरबजीत के इलाज के लिए एक उच्चस्तरीय चिकित्सीय टीम का गठन किया गया है। जो सरबजीत के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है।
अल्लामा इकबाल चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाध्यापक महमूद शौकत ने समाचार पत्र 'डॉन' से बताया, "एक उच्च स्तरीय चिकित्सा दल सरबजीत के उपचार के लिए गठित किया गया है।" शौकत ने बताया कि सरबजीत की हालत बेहद नाजुक है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर में पुलिस ने सरबजीत पर हमले के आरोपी दो कैदियों आमिर और मुदस्सर के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कर लिया है।
पाकिस्तान के मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और सरबजीत की रिहाई के लिए उच्चस्तर पर प्रयासरत अंसार बर्नी ने कहा कि हमला 'संदिग्ध' लगता है।
बर्नी ने कराची में मीडिया को दिए बयान में कहा, "हमला संदिग्ध प्रतीत होता है। कोई इस घटना के पीछे हो सकता है। सरबजीत को जहां रखा गया था वहां ईंट या अन्य सामान नहीं पहुंच सकता है। इसकी अवश्य ही पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए।"
भारतीय उच्चायोग के अधिकारी भी सरबजीत का हाल-चाल जानने लाहौर पहुंचे।
वहीं सरबजीत के पैतृक कस्बे भिखीविंड, अमृतसर और पटियाला में लोग प्राणघातक हमले के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जमा हो रहे हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तानी अदालत ने सरबजीत को लाहौर और मुल्तान बम विस्फोटों का कसूरवार ठहराते हुए 1990 में फांसी की सजा सुनाई थी। लाहौर और मुल्तान में हुए विस्फोटों में 14 लोग मारे गए थे।
वहीं सरबजीत के परिवार ने दावा किया कि नशे की हालत में वह गलती से 1990 में सरहद पार कर गया था और वहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह पूरी तरह निर्दोष है।
पाकिस्तानी पुलिस का दावा है कि पाकिस्तान में मंजीत सिंह के नाम से जाना जाने वाला सरबजीत सिंह आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त था।
इस बीच, सरबजीत के परिवार के चार सदस्यों उसकी रिहाई के लिए मुहिम चलाने वाली उसकी बहन दलबीर कौर, सरबजीत की पत्नी और उसकी दो बेटियों को पाकिस्तान यात्रा का वीजा शनिवार को जारी कर दिया गया।
दलबीर ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के उपाध्यक्ष राजकुमार वेरका से मुलाकात कर शीघ्र वीजा दिलाने की मांग की थी। चारों शनिवार की सुबह पंजाब के भिखीविंड से अमृतसर पहुंच गए।
दलबीर ने कहा कि उनका वीजा व अन्य यात्रा दस्तावेज शनिवार दोपहर बाद तक अमृतसर पहुंच जाएगा जिसके बाद वे लोग रविवार की सुबह वाघा सीमा से पैदल पाकिस्तान में दाखिल होंगे।
दलबीर कौर ने कहा, "हम इस मुश्किल घड़ी में सरबजीत के पास रहना चाहते हैं। वह पूरी तरह अकेला है। हमें यह भी नहीं पता कि उसकी हालत इस समय कैसी है। हमे केवल मीडिया और उनके वकील के जरिए जानकारी मिल रही है।"
उधर, लाहौर के जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का उपचार कर रहे चिकित्सकों के मुताबिक शनिवार को उसकी हालत और बिगड़ गई। सरबजीत अभी तक कोमा में है।
सरबजीत के इलाज के लिए एक अलग कमरे को अस्थाई रूप से आईसीयू में तब्दील कर दिया गया है।
वेरका से मिलने गई दलबीर की भी तबियत शनिवार को खराब हो गई। दलबीर ने बेचैनी और सीने में दर्द की शिकायत की। डॉक्टरों ने उनका परीक्षण किया।
दलबीर का उपचार करने वाले डॉक्टर ने बताया, "उनका रक्तचाप बढ़ा हुआ है और सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। मैंने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। हम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे हैं।"
सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर और दो बेटियां पूनम और स्वप्नदीप कौर दलबीर के साथ हैं।
सरबजीत पर जानलेवा हमले से मर्माहत उनकी बहन दलबीर कौर ने आरोप लगाया कि सरबजीत को ऐसे ही एक हमले में गिरफ्तार किया गया था और उन्हें पहले ही उनके साथी कैदियों ने मारने की धमकी दी थी।
दलबीर ने कहा, "यदि हमारी सरकार ने आवश्यक कदम उठाए होते तो यह हमला नहीं हुआ होता। मैंने गृहमंत्री सुशीलकुमार शिंदे और विदेश राज्य मंत्री परनीत कौर और अन्य को पत्र के जरिए अवगत कराया था कि सरबजीत पर हमला हो सकता है। लेकिन किसी ने कुछ नहीं किया और सरबजीत पर हमला हुआ।"
वहीं, मीडिया में आई खबरों के मुताबिक सरबजीत के इलाज के लिए एक उच्चस्तरीय चिकित्सीय टीम का गठन किया गया है। जो सरबजीत के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहा है।
अल्लामा इकबाल चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाध्यापक महमूद शौकत ने समाचार पत्र 'डॉन' से बताया, "एक उच्च स्तरीय चिकित्सा दल सरबजीत के उपचार के लिए गठित किया गया है।" शौकत ने बताया कि सरबजीत की हालत बेहद नाजुक है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर में पुलिस ने सरबजीत पर हमले के आरोपी दो कैदियों आमिर और मुदस्सर के खिलाफ हत्या की कोशिश का मामला दर्ज कर लिया है।
पाकिस्तान के मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता और सरबजीत की रिहाई के लिए उच्चस्तर पर प्रयासरत अंसार बर्नी ने कहा कि हमला 'संदिग्ध' लगता है।
बर्नी ने कराची में मीडिया को दिए बयान में कहा, "हमला संदिग्ध प्रतीत होता है। कोई इस घटना के पीछे हो सकता है। सरबजीत को जहां रखा गया था वहां ईंट या अन्य सामान नहीं पहुंच सकता है। इसकी अवश्य ही पूरी तरह से जांच की जानी चाहिए।"
भारतीय उच्चायोग के अधिकारी भी सरबजीत का हाल-चाल जानने लाहौर पहुंचे।
वहीं सरबजीत के पैतृक कस्बे भिखीविंड, अमृतसर और पटियाला में लोग प्राणघातक हमले के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जमा हो रहे हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तानी अदालत ने सरबजीत को लाहौर और मुल्तान बम विस्फोटों का कसूरवार ठहराते हुए 1990 में फांसी की सजा सुनाई थी। लाहौर और मुल्तान में हुए विस्फोटों में 14 लोग मारे गए थे।
वहीं सरबजीत के परिवार ने दावा किया कि नशे की हालत में वह गलती से 1990 में सरहद पार कर गया था और वहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह पूरी तरह निर्दोष है।
पाकिस्तानी पुलिस का दावा है कि पाकिस्तान में मंजीत सिंह के नाम से जाना जाने वाला सरबजीत सिंह आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त था।
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