देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर करने वाले एम्स के पूर्व सीवीओ संजीव चतुर्वेदी ने प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले और नियुक्ति करने वाली कैबिनटे कमेटी ऑफ अपाइंटमेंट यानी एससीसी पर पक्षपात का आरोप लगाया है। इस कमेटी के अध्यक्ष खुद प्रधानमंत्री होते हैं।
संजीव चतुर्वेदी ने प्रशासनिक अधिकारियों के मामले सुनने वाली अदालत कैट में हलफनामा देकर कहा है कि उनके साथ पक्षपात किया गया है। उन्होंने हलफनामे में कम से कम 14 मामलों का ज़िक्र किया है जिसमें केंद्र सरकार ने नियमों में ढील देकर कई अफसरों के तबादले महज़ 2 से 4 महीने के भीतर कर दिये।
2002 बैच के आईएफएस अधिकारी चतुर्वेदी ने 2012 में अपना काडर हरियाणा से बदलकर उत्तराखंड करने की मांग की थी लेकिन लेकिन एसीसी ने आखिरी वक्त में पूरी प्रक्रिया को दोबारा करने को कहा। प्रधानमंत्री की अद्यक्षता वाली इस कमेटी ने चतुर्वेदी के उत्तराखंड तबादले की प्रक्रिया ये कह कर रोक दी कि हरियाणा और उत्तराखंड से एक बार फिर से नो ऑब्जेक्शन यानी एनओसी लिया जाये।
इसके बाद चतुर्वेदी ने सरकारी अधिकारियों की फरियाद सुनने वाली अदालत सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल यानी कैट में एक मुकदमा किया अपने हलफ नामे में चतुर्वेदी ने कहा है कि मोदी सरकार ने पिछले 10 महीने में एक दर्जन से अधिक काडर डेप्युटेशन के मामले में नियमों की अनदेखी की है। कैट पहले ही चतुर्वेदी की शिकायत का संज्ञान लेते हुये कैबिनेट कमेटी ऑफ अपाइंटमेंट के आदेशों पर पहले ही स्टे लगा चुकी है।
संजीव चतुर्वेदी हरियाणा में भ्रष्टाचार के कई मामले उजागर करने के कारण भूपेंदर सिंह हुड्डा सरकार के निशाने पर रहे और उन्होंने वहां अपनी जान को खतरा बताया। एम्स में सीवीओ के तौर पर उन्होंने कई मामले खोले और बड़े अधिकारियों से उनकी नहीं बनी। मौजूदा स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने उन्हें हटाने के लिये तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखे जिसके बाद काफी विवाद खड़ा हुआ था।
एम्स में सत्र बताते हैं कि केंद्र सरकार ने चतुर्वेदी को साइडलाइन किया हुआ है और अभी उनके पास कोई काम नहीं है। माना जा रहा है कि उनके बेबाक रवैये से नाराज़ सरकार उनका तबादला रोके हुए हैं। गौरतलब है कि चतुर्वेदी को दिल्ली सरकार ने मुख्यमंत्री केजरीवाल के ओएसडी के तौर पर मांगा था लेकिन केंद्र सरकार ने उनकी फाइल रोक कर रखी हुई है जबकि कई दूसरे अफसर केजरीवाल की मांग पर रिलीव कर दिये गये हैं। इस बारे में मंगलवार को पर्यावरण मंत्री जावड़ेकर ने सवालों के जवाब टाल दिये और कहा कि वो फाइल की मूवमेंट पर कोई आंखोदेखा हाल नहीं सुना सकते।
देखें - जावड़ेकर रोक कर बैठे हैं चतुर्वेदी की फाइल
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