नई दिल्ली:
राष्ट्रपति चुनाव में प्रणब मुखर्जी से पराजित हो चुके पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पूर्णो अगितोक संगमा प्रणब के निर्वाचन को चुनौती देने के लिए मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में एक चुनाव याचिका दायर करेंगे।
संगमा के वकील के रूप में सत्यपाल जैन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य एवं वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का साथ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि याचिका मंगलवार को दायर की जाएगी।
जैन ने कहा, "चुनाव कानून के अनुसार, पराजित उम्मीदवार निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर सकता है, इसलिए संगमा मंगलवार को चुनाव याचिका दायर करेंगे।"
यह यचिका या तो पराजित प्रतिद्वंद्वी या मतदाताओं में से 20 लोग मिलकर दायर कर सकते हैं।
भाजपा ने चुनाव से पहले संगमा की उम्मीदवारी का समर्थन किया था, लेकिन प्रणब के निर्वाचित होने के बाद कानूनी प्रक्रिया से अब खुद को दूर रखा है।
भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा था कि "संगमा यदि सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला लेते हैं तो वह इसमें व्यक्तिगत रूप से पहल करेंगे।"
राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा सहित संगमा की टीम ने प्रणब के नामांकन पर यह कहकर आपत्ति उठाई थी कि वह नामांकन दाखिल करने के समय तक भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष थे यानी लाभ के पद पर बने हुए थे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि जिस त्यागपत्र की प्रति प्रणब ने पेश की, उसपर उनके फर्जी हस्ताक्षर हैं।
नामांकन पत्रों की जांच के समय भी आपत्ति उठाई गई थी, लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने उसे खारिज कर दिया था। उस समय भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों ने इस मुद्दे को न्यायालय में ले जाने की बात कही थी।
भाजपा ने प्रणब के नामांकन को खारिज कराने के लिए निर्वाचन आयोग जाने के टीम के फैसले का भी समर्थन किया था।
निर्वाचन आयोग ने तब उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर करने का निर्देश दिया था। यह याचिका परिणाम घोषित होने के बाद ही दायर की जा सकती है।
यह दूसरा मौका है जब एक राष्ट्रपति के खिलाफ चुनाव याचिका दायर होने जा रहा है। इससे पहले 1969 में वराह गिरि वेंकट गिरि के खिलाफ कई चुनाव याचिकाएं दायर की गई थीं। वीवी गिरि ने कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को पराजित किया था। राष्ट्रपति पद के उस चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गिरि को समर्थन दिया था और पार्टी के सांसदों से अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करने का आह्वान किया था।
उस दौरान चले मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिनिधि को राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति का बयान दर्ज करने की पेशकश की गई थी, गिरि ने हालांकि कहा कि वह स्वयं वह स्वयं अदालत परिसर जाएंगे।
अदालत परिसर में राष्ट्रपति का आना एक अप्रत्याशित घटना थी। वहां गिरि के लिए एक विशेष कुर्सी मंगाई गई और उनका बयान दर्ज किया गया। वह मुकदमा आखिरकार खारिज हो गया था।
संगमा के वकील के रूप में सत्यपाल जैन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्यसभा सदस्य एवं वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी का साथ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि याचिका मंगलवार को दायर की जाएगी।
जैन ने कहा, "चुनाव कानून के अनुसार, पराजित उम्मीदवार निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर सकता है, इसलिए संगमा मंगलवार को चुनाव याचिका दायर करेंगे।"
यह यचिका या तो पराजित प्रतिद्वंद्वी या मतदाताओं में से 20 लोग मिलकर दायर कर सकते हैं।
भाजपा ने चुनाव से पहले संगमा की उम्मीदवारी का समर्थन किया था, लेकिन प्रणब के निर्वाचित होने के बाद कानूनी प्रक्रिया से अब खुद को दूर रखा है।
भाजपा प्रवक्ता राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा था कि "संगमा यदि सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला लेते हैं तो वह इसमें व्यक्तिगत रूप से पहल करेंगे।"
राष्ट्रपति चुनाव से पहले भाजपा सहित संगमा की टीम ने प्रणब के नामांकन पर यह कहकर आपत्ति उठाई थी कि वह नामांकन दाखिल करने के समय तक भारतीय सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष थे यानी लाभ के पद पर बने हुए थे। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि जिस त्यागपत्र की प्रति प्रणब ने पेश की, उसपर उनके फर्जी हस्ताक्षर हैं।
नामांकन पत्रों की जांच के समय भी आपत्ति उठाई गई थी, लेकिन निर्वाचन अधिकारी ने उसे खारिज कर दिया था। उस समय भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों ने इस मुद्दे को न्यायालय में ले जाने की बात कही थी।
भाजपा ने प्रणब के नामांकन को खारिज कराने के लिए निर्वाचन आयोग जाने के टीम के फैसले का भी समर्थन किया था।
निर्वाचन आयोग ने तब उन्हें सर्वोच्च न्यायालय में चुनाव याचिका दायर करने का निर्देश दिया था। यह याचिका परिणाम घोषित होने के बाद ही दायर की जा सकती है।
यह दूसरा मौका है जब एक राष्ट्रपति के खिलाफ चुनाव याचिका दायर होने जा रहा है। इससे पहले 1969 में वराह गिरि वेंकट गिरि के खिलाफ कई चुनाव याचिकाएं दायर की गई थीं। वीवी गिरि ने कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार नीलम संजीव रेड्डी को पराजित किया था। राष्ट्रपति पद के उस चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गिरि को समर्थन दिया था और पार्टी के सांसदों से अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करने का आह्वान किया था।
उस दौरान चले मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिनिधि को राष्ट्रपति भवन जाकर राष्ट्रपति का बयान दर्ज करने की पेशकश की गई थी, गिरि ने हालांकि कहा कि वह स्वयं वह स्वयं अदालत परिसर जाएंगे।
अदालत परिसर में राष्ट्रपति का आना एक अप्रत्याशित घटना थी। वहां गिरि के लिए एक विशेष कुर्सी मंगाई गई और उनका बयान दर्ज किया गया। वह मुकदमा आखिरकार खारिज हो गया था।
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