प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
समझौता और मालेगांव विस्फोट मामलों के मुख्य आरोपियों में से एक लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को पत्र लिखकर अपना सम्मान बहाल करने का अनुरोध किया है। लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने चार अप्रैल की तिथि वाले अपने पत्र में दावा किया है कि उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया गया है और वह सात वर्ष से अधिक समय से जेल में हैं।
देश की सेवा करने के लिए सजा दी गई
उन्होंने कहा, ‘मुझसे मेरा सम्मान, गरिमा और दर्जा छीन लिया गया और देश की सेवा करने के लिए सजा दी गई।’ पुरोहित ने दावा किया कि उन्होंने सिमी और नक्सली समूहों में एक सैन्य गुप्तचर के तौर पर प्रवेश किया था और उन्होंने अपने अभियान की प्रत्येक जानकारी अपने वरिष्ठों से साझा की थी।
यह पहली बार नहीं है कि पुरोहित ने पर्रिकर को पत्र लिखा है। नवम्बर 2015 में भी उन्होंने पत्र लिखकर अपने खिलाफ सेना द्वारा कोर्ट आफ इंक्वायरी की प्रतियां मांगी थीं। उन्हें अदालत के हस्तक्षेप के बाद अंतत: कोर्ट आफ इंक्वायरी की प्रतियां मिलीं।
मंत्री से तथ्यों पर गौर करने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि 'यह तथ्य है कि मैंने सिमी, इंडियन मुजाहिदीन और उत्तर महाराष्ट्र में सक्रिय नक्सली समूहों में सफलतापूर्वक प्रवेश के बाद महाराष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान 14 रिपोर्ट की पहल की थीं।’ इस बीच उनकी पत्नी अर्पणा पुरोहित ने यह पूछे जाने पर कि वह पत्र के परिणामस्वरूप क्या उम्मीद करती हैं, उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि इससे क्या निकलेगा। हमें उम्मीद है कि मंत्री मामले और कोर्ट आफ इंक्वायरी के इन तथ्यों पर गौर करेंगे। उन्हें पता चलेगा कि मेरे पति इन सभी गतिविधियों के बारे में अपने वरिष्ठों को अवगत कराते थे।’ पुरोहित ने 2014 में ऐसा ही पत्र तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को लिखा था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
देश की सेवा करने के लिए सजा दी गई
उन्होंने कहा, ‘मुझसे मेरा सम्मान, गरिमा और दर्जा छीन लिया गया और देश की सेवा करने के लिए सजा दी गई।’ पुरोहित ने दावा किया कि उन्होंने सिमी और नक्सली समूहों में एक सैन्य गुप्तचर के तौर पर प्रवेश किया था और उन्होंने अपने अभियान की प्रत्येक जानकारी अपने वरिष्ठों से साझा की थी।
यह पहली बार नहीं है कि पुरोहित ने पर्रिकर को पत्र लिखा है। नवम्बर 2015 में भी उन्होंने पत्र लिखकर अपने खिलाफ सेना द्वारा कोर्ट आफ इंक्वायरी की प्रतियां मांगी थीं। उन्हें अदालत के हस्तक्षेप के बाद अंतत: कोर्ट आफ इंक्वायरी की प्रतियां मिलीं।
मंत्री से तथ्यों पर गौर करने की उम्मीद
उन्होंने कहा कि 'यह तथ्य है कि मैंने सिमी, इंडियन मुजाहिदीन और उत्तर महाराष्ट्र में सक्रिय नक्सली समूहों में सफलतापूर्वक प्रवेश के बाद महाराष्ट्र में अपने कार्यकाल के दौरान 14 रिपोर्ट की पहल की थीं।’ इस बीच उनकी पत्नी अर्पणा पुरोहित ने यह पूछे जाने पर कि वह पत्र के परिणामस्वरूप क्या उम्मीद करती हैं, उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि इससे क्या निकलेगा। हमें उम्मीद है कि मंत्री मामले और कोर्ट आफ इंक्वायरी के इन तथ्यों पर गौर करेंगे। उन्हें पता चलेगा कि मेरे पति इन सभी गतिविधियों के बारे में अपने वरिष्ठों को अवगत कराते थे।’ पुरोहित ने 2014 में ऐसा ही पत्र तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे को लिखा था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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