लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
मालेगांव धमाकों के आरोपी कर्नल पुरोहित को एनआईए ने समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाके के मामले में क्लीन चिट दे दी है। बताया जा रहा है कि मालेगांव में भी एनआईए की जांच सवालों से घिरी है। एनडीटीवी को मिली जानकारी के मुताबिक, कर्नल पुरोहित को समझौता धमाके में क्लीन चिट दे दी गई है। एनआईए के डीजी का कहना है कि पुरोहित का नाम कभी इस मामले में आया ही नहीं।
कर्नल पुरोहित ने भी रक्षा मंत्रालय में अर्जी देकर अपने सम्मान बहाली की मांग की है। मालेगांव मामले में भी कई अहम गवाहियों का पता नहीं है, जबकी समझौता धमाकों में भी 165 गवाहों में से 22 गवाह पलट चुके हैं। दरअसल, 2006 के मालेगांव धमाकों में 37 लोगों की मौत हुई।
2007 के समझौता धमाके में 68 लोग मारे गए। इन धमाकों के लिए पहले लश्कर और सिमी को जिम्मेदार बताया गया और फिर अभिनव भारत को, लेकिन समझौता धमाकों मे एनआईए अब नए सिरे से इस मामले में यू-टर्न लेती दिख रही है।
आरिफ कासमानी की तलाश
इस बीच एनआईए ने इस सिलसिले में आरिफ कासमानी नाम के एक शख्स की तलाश शुरू कर दी है। एनआईए के मुताबिक, आरिफ कासमानी वह शख्स है, जिसने समझौता धमाके की फंडिंग की। भारत ने अमेरिका से इस बारे में मदद मांगी है। एनआईए के मुताबिक, अमेरिकी सरकार की ओर से 2010 में इस शख़्स की जानकारी मिली थी।
जब जब बीजेपी सत्ता में आती है तो ऐसा ही होता है : तारिक अनवर
एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा, जब बीजेपी की सरकार केन्द्र में आती है तब यही सब होता है। धीरे-धीरे सभी आरोपी इस मामले में छूट जाएंगे।
सरकार किसी पर दबाव नहीं डालती : रिजिजू
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सफाई दी है कि हमारी सरकार किसी पर दबाव नहीं डालती। मगर एक जांच के भीतर इतने सारे यू-टर्न हैरान करने वाले हैं। दरअसल, केंद्र में जब जब सरकार सरकार बदली तब तब जांच एजेंसियां संवेदनशील मामलों में अपना रुख बदल लेती हैं। चाहे वह एटीएस हो या सीबीआई या फिर NIA
कर्नल पुरोहित ने भी रक्षा मंत्रालय में अर्जी देकर अपने सम्मान बहाली की मांग की है। मालेगांव मामले में भी कई अहम गवाहियों का पता नहीं है, जबकी समझौता धमाकों में भी 165 गवाहों में से 22 गवाह पलट चुके हैं। दरअसल, 2006 के मालेगांव धमाकों में 37 लोगों की मौत हुई।
2007 के समझौता धमाके में 68 लोग मारे गए। इन धमाकों के लिए पहले लश्कर और सिमी को जिम्मेदार बताया गया और फिर अभिनव भारत को, लेकिन समझौता धमाकों मे एनआईए अब नए सिरे से इस मामले में यू-टर्न लेती दिख रही है।
आरिफ कासमानी की तलाश
इस बीच एनआईए ने इस सिलसिले में आरिफ कासमानी नाम के एक शख्स की तलाश शुरू कर दी है। एनआईए के मुताबिक, आरिफ कासमानी वह शख्स है, जिसने समझौता धमाके की फंडिंग की। भारत ने अमेरिका से इस बारे में मदद मांगी है। एनआईए के मुताबिक, अमेरिकी सरकार की ओर से 2010 में इस शख़्स की जानकारी मिली थी।
जब जब बीजेपी सत्ता में आती है तो ऐसा ही होता है : तारिक अनवर
एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा, जब बीजेपी की सरकार केन्द्र में आती है तब यही सब होता है। धीरे-धीरे सभी आरोपी इस मामले में छूट जाएंगे।
सरकार किसी पर दबाव नहीं डालती : रिजिजू
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजू ने सफाई दी है कि हमारी सरकार किसी पर दबाव नहीं डालती। मगर एक जांच के भीतर इतने सारे यू-टर्न हैरान करने वाले हैं। दरअसल, केंद्र में जब जब सरकार सरकार बदली तब तब जांच एजेंसियां संवेदनशील मामलों में अपना रुख बदल लेती हैं। चाहे वह एटीएस हो या सीबीआई या फिर NIA
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