नागपुर:
मुंबई बम विस्फोटों के मामले में फांसी की सज़ा पाने वाले इकलौते दोषी याकूब मेमन को आज येरवडा जेल के उसी कांस्टेबल ने फांसी पर लटकाया जिसने तीन साल पहले 26/11 मुंबई हमलों के दोषी पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को फंदे पर लटकाया था।
सुरक्षा कारणों से इस जल्लाद की पहचान को गुप्त रखा गया है। वह पुणे की येरवडा जेल से 20 पुलिसकर्मियों की एक टीम के साथ एक सप्ताह पहले ही सेंट्रल जेल में पहुंच गए थे ।
इसी जल्लाद ने 21 नवंबर 2012 को येरवडा जेल में कसाब को फांसी देने के लिए लीवर खींचा था।
कसाब को पुणे में फांसी पर लटकाए जाने के दौरान टीम की अगुवाई करने वाले येरवडा जेल के अधीक्षक योगेश देसाई का कुछ ही महीने पहले नागपुर सेंट्रल जेल में तबादला किया गया था । निश्चित रूप से उनका तबादला याकूब को फांसी की सजा की तामील के प्रबंधन के लिए किया गया था।
जेल अधिकारियों के अनुसार, कांस्टेबल ने 'बेहद सटीक' तरीके से फांसी दी।
येरवडा जेल से एक अन्य कांस्टेबल को भी एक सप्ताह पहले यहां लाया गया था और दो अन्य के साथ उसे जल्लाद की मदद का प्रशिक्षण दिया गया। टीम के अन्य सदस्यों को फांसी यार्ड में प्लेटफार्म तैयार करने का काम सौंपा गया था।
महाराष्ट्र में नागपुर और येरवडा दो सेंट्रल जेल हैं जहां फांसी दिए जाने की सुविधा है ।
इनसे पहले 1984 में नागपुर जेल में फांसी दी गयी थी। उस समय अमरावती के दो भाइयों को हत्या के लिए फांसी पर लटकाया गया था।
सुरक्षा कारणों से इस जल्लाद की पहचान को गुप्त रखा गया है। वह पुणे की येरवडा जेल से 20 पुलिसकर्मियों की एक टीम के साथ एक सप्ताह पहले ही सेंट्रल जेल में पहुंच गए थे ।
इसी जल्लाद ने 21 नवंबर 2012 को येरवडा जेल में कसाब को फांसी देने के लिए लीवर खींचा था।
कसाब को पुणे में फांसी पर लटकाए जाने के दौरान टीम की अगुवाई करने वाले येरवडा जेल के अधीक्षक योगेश देसाई का कुछ ही महीने पहले नागपुर सेंट्रल जेल में तबादला किया गया था । निश्चित रूप से उनका तबादला याकूब को फांसी की सजा की तामील के प्रबंधन के लिए किया गया था।
जेल अधिकारियों के अनुसार, कांस्टेबल ने 'बेहद सटीक' तरीके से फांसी दी।
येरवडा जेल से एक अन्य कांस्टेबल को भी एक सप्ताह पहले यहां लाया गया था और दो अन्य के साथ उसे जल्लाद की मदद का प्रशिक्षण दिया गया। टीम के अन्य सदस्यों को फांसी यार्ड में प्लेटफार्म तैयार करने का काम सौंपा गया था।
महाराष्ट्र में नागपुर और येरवडा दो सेंट्रल जेल हैं जहां फांसी दिए जाने की सुविधा है ।
इनसे पहले 1984 में नागपुर जेल में फांसी दी गयी थी। उस समय अमरावती के दो भाइयों को हत्या के लिए फांसी पर लटकाया गया था।
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