प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देशभर में नियोक्ताओं द्वारा वेतन के डिजिटल हस्तांतरण के लिए एक अध्यादेश पारित किया. हालांकि, नकदी भुगतान की प्रणाली जारी रहेगी. इसके साथ ही इसका चौतरफा विरोध शुरू हो गया है. कई ट्रेड यूनियंस, कर्मचारी संघों और राजनीतिक दलों ने इसे अव्यावहारिक बताते हुए इसका विरोध किया है. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद अधिकारी ने कहा, "इस अध्यादेश के जरिए भुगतान का एक अतिरिक्त तरीका अपनाया गया है. नकदी भुगतान की पुरानी प्रणाली जारी रहेगी."
उन्होंने कहा, "यह वर्तमान में सिक्के या नोटों में मजदूरी भुगतान की प्रचलित प्रणाली के अतिरिक्त नियोक्ताओं द्वारा बैंकिग सुविधाओं के इस्तेमाल के जरिए मजदूरी भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है." श्रम मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित संशोधन केवल चेक या खाते के जरिए ही वेतन के भुगतान को अनिवार्य नहीं बनाएगा.
बयान में कहा गया कि उपयुक्त सरकार (केंद्र या राज्य) खास उद्योगों या अन्य प्रतिष्ठानों के लिए अधिसूचना जारी करेंगी जहां नियोक्ता को कामगारों को वेतन का भुगतान चेक या कर्मचारियों के खातों में पैसे स्थानान्तरित कर करना होगा. मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन यह भी सुनिश्चित करेगा कि 'मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाए और उनके सामाजिक सुरक्षा अधिकार सुरक्षित रहें."
बयान में कहा गया है, "कर्मचारी भविष्य निधि संगठन या कर्मचारी राज्य बीमा निगम की योजना में एक योगदानकर्ता बनने से बचने के लिए नियोक्ता अब कर्मचारियों की संख्या कम कर नहीं दिखा सकते हैं."
मंत्रालय ने यह भी बताया कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य बैंकिंग चैनलों के जरिए मजदूरी भुगतान की पहले ही अधिसूचना जारी कर चुके हैं. हालांकि ट्रेड यूनियंस ने सरकार के इन तर्कों को खारिज कर दिया है.
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने सरकार को यह निर्णय लेने की इतनी क्या जल्दी थी कि अध्यादेश लाना पड़ा. सेन ने कहा, "सरकार मजदूरी अधिनियम में संशोधन की तरफ तेजी से बढ़ रही है. ऐसी क्या जल्दी है? देश की पूरी बैंकिंग प्रणाली में अभी अव्यवस्था है. क्या इस फैसले को थोड़ा रुक कर लागू नहीं किया जा सकता था." उन्होंने कहा कि कर्मचारी का यह अधिकार कि वेतन किस रूप में प्राप्त करना है, को छीना नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "सरकार का फैसला संदेह से ऊपर नहीं है."
द इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी) ने भी इस कदम का विरोध किया है और बंद की चेतावनी दी है. आईएनटीयूसी के अध्यक्ष जी. संजीव रेड्डी ने आईएएनएस से कहा, "हम कड़ाई से इस कदम का विरोध करते हैं. यह व्यावहारिक नहीं है. वहां क्या होगा जहां बैंक नहीं है या फिर कर्मचारियों के पास बैंक खाते नहीं हैं. ठेका पर काम कर रहे कर्मचारियों को नकद में ही मजदूरी दी जानी चाहिए." कुछ विपक्षी दलों ने भी इस कदम का विरोध किया है.
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि भारत जैसे देश में पूरी तरह से कैशलेस होना संभव नहीं है. त्यागी ने कहा, "भारतीय स्थितियां कैशलेस के लिहाज से उपयुक्त नहीं है. यह विचार व्यावहारिकता से दूर है. यहां तक अमेरिका जैसे देश में भी केवल 40 फीसदी डिजिटल लेनदेन होते हैं."
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंद्ध ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि कुछ समय से इसकी मांग की जा रही थी. बीएमएस के महासचिव वृजेश उपाध्याय ने कहा, "यह एक अच्छा कदम है. यह दो रजिस्ट्रर रखने की प्रणाली को समाप्त करेगा. कुछ नियोक्ता कर्मचारियों को कम वेतन देते हैं, जबकि अपने रजिस्ट्रर में ज्यादा दिखाते हैं. बैंक एकाउंट में वेतन हस्तांतरित करने से ऐसी धोखाधड़ी बंद हो जाएगी."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
उन्होंने कहा, "यह वर्तमान में सिक्के या नोटों में मजदूरी भुगतान की प्रचलित प्रणाली के अतिरिक्त नियोक्ताओं द्वारा बैंकिग सुविधाओं के इस्तेमाल के जरिए मजदूरी भुगतान की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है." श्रम मंत्रालय ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया है कि प्रस्तावित संशोधन केवल चेक या खाते के जरिए ही वेतन के भुगतान को अनिवार्य नहीं बनाएगा.
बयान में कहा गया कि उपयुक्त सरकार (केंद्र या राज्य) खास उद्योगों या अन्य प्रतिष्ठानों के लिए अधिसूचना जारी करेंगी जहां नियोक्ता को कामगारों को वेतन का भुगतान चेक या कर्मचारियों के खातों में पैसे स्थानान्तरित कर करना होगा. मंत्रालय के अनुसार, प्रस्तावित संशोधन यह भी सुनिश्चित करेगा कि 'मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाए और उनके सामाजिक सुरक्षा अधिकार सुरक्षित रहें."
बयान में कहा गया है, "कर्मचारी भविष्य निधि संगठन या कर्मचारी राज्य बीमा निगम की योजना में एक योगदानकर्ता बनने से बचने के लिए नियोक्ता अब कर्मचारियों की संख्या कम कर नहीं दिखा सकते हैं."
मंत्रालय ने यह भी बताया कि आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा जैसे राज्य बैंकिंग चैनलों के जरिए मजदूरी भुगतान की पहले ही अधिसूचना जारी कर चुके हैं. हालांकि ट्रेड यूनियंस ने सरकार के इन तर्कों को खारिज कर दिया है.
सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियन (सीटू) के महासचिव तपन सेन ने सरकार को यह निर्णय लेने की इतनी क्या जल्दी थी कि अध्यादेश लाना पड़ा. सेन ने कहा, "सरकार मजदूरी अधिनियम में संशोधन की तरफ तेजी से बढ़ रही है. ऐसी क्या जल्दी है? देश की पूरी बैंकिंग प्रणाली में अभी अव्यवस्था है. क्या इस फैसले को थोड़ा रुक कर लागू नहीं किया जा सकता था." उन्होंने कहा कि कर्मचारी का यह अधिकार कि वेतन किस रूप में प्राप्त करना है, को छीना नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा, "सरकार का फैसला संदेह से ऊपर नहीं है."
द इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (आईएनटीयूसी) ने भी इस कदम का विरोध किया है और बंद की चेतावनी दी है. आईएनटीयूसी के अध्यक्ष जी. संजीव रेड्डी ने आईएएनएस से कहा, "हम कड़ाई से इस कदम का विरोध करते हैं. यह व्यावहारिक नहीं है. वहां क्या होगा जहां बैंक नहीं है या फिर कर्मचारियों के पास बैंक खाते नहीं हैं. ठेका पर काम कर रहे कर्मचारियों को नकद में ही मजदूरी दी जानी चाहिए." कुछ विपक्षी दलों ने भी इस कदम का विरोध किया है.
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता के. सी. त्यागी ने कहा कि भारत जैसे देश में पूरी तरह से कैशलेस होना संभव नहीं है. त्यागी ने कहा, "भारतीय स्थितियां कैशलेस के लिहाज से उपयुक्त नहीं है. यह विचार व्यावहारिकता से दूर है. यहां तक अमेरिका जैसे देश में भी केवल 40 फीसदी डिजिटल लेनदेन होते हैं."
हालांकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंद्ध ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने इस फैसले का स्वागत किया है और कहा है कि कुछ समय से इसकी मांग की जा रही थी. बीएमएस के महासचिव वृजेश उपाध्याय ने कहा, "यह एक अच्छा कदम है. यह दो रजिस्ट्रर रखने की प्रणाली को समाप्त करेगा. कुछ नियोक्ता कर्मचारियों को कम वेतन देते हैं, जबकि अपने रजिस्ट्रर में ज्यादा दिखाते हैं. बैंक एकाउंट में वेतन हस्तांतरित करने से ऐसी धोखाधड़ी बंद हो जाएगी."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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