- SSC परीक्षाओं में कुप्रबंधन का विरोध करते हुए छात्र कई शहरों में प्रदर्शन कर रहे हैं.
- नीतू सिंह ने NDTV से बातचीत में बताया कि छात्रों को किस तरह की दिक्कतें हो रही हैं.
- उन्होंने सरकार से इस मामले पर ध्यान देने और छात्रों की समस्याएं सुलझाने की मांग की है.
कर्मचारी चयन आयोग (SSC) की परीक्षाओं में कथित कुप्रबंधन छात्रों का विरोध बढ़ता जा रहा है. देश के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. छात्रों ने लाठीचार्ज का भी आरोप लगाया है. छात्रों की समस्याओं को उठाने के लिए आगे आए शिक्षकों में भी नाराजगी है. इस सिलसिले में जानी-मानी शिक्षिका नीतू सिंह ने विस्तार से NDTV से बात की. नीतू मैम ने दावा किया कि इस विवाद की वजह परीक्षा आयोजित करने वाली नई वेंडर कंपनी एडुक्वेटी (Eduquity) की गंभीर खामियां हैं. इसकी वजह से छात्रों को कंप्यूटर, माउस जैसी बुनियादी चीजों में खराबी ही नहीं, परीक्षा केंद्रों में कुप्रबंधन की समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है.
'पेन, पेपर, माउस तक सही नहीं'
नीतू मैम ने आरोप लगाता कि एडुक्वेटी कंपनी के पास इस तरह की परीक्षाओं को आयोजित करने के लिए पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन नहीं हैं. उन्होंने दावा किया कि छात्रों को कंप्यूटर हैंग होना, माउस काम न करना और परीक्षा के समय बिजली गुल हो जाना जैसी तमाम समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कंपनी के पास इतने संसाधन नहीं है कि वो कंप्यूटर, पेन, पेपर, माउस भी सही तरीके से दे सकें.
'एग्जाम के लिए सैकड़ों किमी दूर बुला रहे'
नीतू मैम ने एनडीटीवी से बातचीत में दूसरा मुद्दा परीक्षा केंद्रों का उठाया. उन्होंने कहा कि छात्रों को उनके होमटाउन से हजारों किलोमीटर दूर के सेंटरों पर भेजा जा रहा है. कभी-कभी तो दिल्ली या पटना के छात्रों को अंडमान तक भेजा जा रहा है. इससे यात्रा की लागत और तनाव दोनों बढ़ रहे हैं.
'बायोमेट्रिक जांच में देरी, कुप्रबंधन'
20 साल से पढ़ा रहीं नीतू मैम ने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्रों पर उचित प्रबंधन का अभाव है. छात्रों की समय पर बायोमेट्रिक जांच नहीं हो पा रही है, परीक्षाएं देरी से शुरू हो रही हैं. कुछ मामलों में तो अचानक परीक्षाएं रद्द कर दी जा रही हैं. दूर-दूर की यात्रा करके छात्र जब सेंटरों पर पहुंचते हैं तो उन्हें पता चलता है कि वहां एग्जाम रद्द हो गया है. उन्होंने एडुक्वेटी स्टाफ की प्रमाणिकता को भी संदिग्ध बताया.
'Eduquity से बेहतर तो TCS थी'
SSC की परीक्षाएं पहले TCS कंपनी आयोजित कराती थी, लेकिन अब एडुक्वेटी को यह जिम्मेदारी दी गई है. नीतू मैम ने कहा कि TCS के पास उचित इंफ्रास्ट्रक्चर था, एडुक्वेटी के पास तो वो भी नहीं है. एडुक्वेटी अपनी वेबसाइट पर कई परीक्षाओं को सफलतापूर्वक आयोजित करने का दावा करती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है.
जब उनसे पूछा गया कि टीसीएस का भी तो विरोध होता था, अब एडुक्वेटी का हो रहा है, दोनों में क्या फर्क है? इस पर नीतू मैम ने बताया कि टीसीएस के विरोध के कारणों में वेटिंग लिस्ट न होना, 10वीं, 12वीं और ग्रेजुएशन लेवल के पेपरों का समान होना और प्रश्नों का गलत होना था. उन्होंने कहा कि अब ये लड़ाई तो पीछे छूट गई है, अब छात्रों को पेन-पेपर और पंखे तक के लिए लड़ना पड़ रहा है.
बच्चों के लिए आगे आए शिक्षक
शिक्षकों को छात्रों के इस संघर्ष में क्यों कूदना पड़ा, इस सवाल पर नीतू मैम ने कहा कि हमारा अपना कुछ इंटरेस्ट नहीं है. हम बच्चों की तैयारी करवाते हैं. हम चाहते हैं कि निष्पक्ष तरीके से एग्जाम हों. बच्चे अपनी मेहनत के दम पर सरकारी नौकरी चाहते हैं. उन्हें इसका उचित मौका मिलना चाहिए, खासकर जब उनसे परीक्षा फीस भी ली जाती है.
पुलिस पर ज्यादती का आरोप
नीतू मैम ने गुरुवार को दिल्ली के सीजीओ कॉम्प्लेक्स में शिक्षकों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए कहा कि वहां पर बहुत बुरी तरह से पिटाई की गई. लाठीचार्ज किया गया. बसों में ठूंसकर करीब 4 घंटे तक घुमाया गया. उसके बाद पुलिस स्टेशन में 4-5 घंटे तक रखा गया. रात में छोड़ा गया. नीतू मैम ने कहा कि उनका प्रदर्शन पूरी तरह से अहिंसक था.
DOPT मिनिस्टर से दखल की मांग
इस समस्या के लिए नीतू मैम ने एसएससी को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि एसएससी ने अपना पल्ला झाड़कर DOPT से मिलने को कहा. DOPT में अधिकारियों ने कहा कि अंतिम फैसला DOPT मिनिस्टर ही ले सकते हैं. हम DOPT मिनिस्टर से सिर्फ 5 मिनट का वक्त चाहते हैं. हम उन्हें संक्षेप में छात्रों की समस्याएं बताएंगे और निदान का अनुरोध करेंगे.
नीतू सिंह ने कहा कि एडुक्वेटी फेज 13 में ही नाकाम हो चुकी है. बड़े एग्जाम कराना उसके बस की बात नहीं होगी क्योंकि उनमें छात्रों की संख्या तीन गुना ज्यादा होगी. ऐसे में सरकार को जल्द से जल्द फैसला करना चाहिए. हम ये नहीं कहते कि TCS को ही लाया जाए, कोई कंपनी लाएं लेकिन ऐसी लाएं जो प्रॉपर तरीके से एग्जाम करा सके.
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