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This Article is From Jan 13, 2020

सबरीमाला मामला: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, 5 जजों की बेंच द्वारा भेजे गए रिफरेंस पर ही करेंगे सुनवाई

केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को सुनवाई की.

सबरीमाला मामला: सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, 5 जजों की बेंच द्वारा भेजे गए रिफरेंस पर ही करेंगे सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने धार्मिक स्थलों पर महिलाओं से भेदभाव से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की
नई दिल्ली:

केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने सोमवार को सुनवाई की. संविधान पीठ ने साफ कर दिया कि वह  5 जजों की बेंच ने जो रिफरेंस भेजा है, हम उसी के बाबत ही सुनवाई करेंगे. CJI ने यह भी कहा कि जब रिफरेंस पर फैसला दे देंगे उसके बाद सबरीमला मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई शुरू करेंगे. सबरीमाला समेत दूसरे धर्मों में महिलाओं के मामले में वकील राजीव धवन ने व्यक्तिगत तौर पर बहस करने की इजाजत कोर्ट से  मांगी थी. जिस पर बेंच ने साफ कहा कि इस मामले में बहस करने के लिए एक समय सीमा तय की जाएगी. कोर्ट ने कहा कि हम नही चाहते कि दलीलों की पुनरावृत्ति हो, इसलिए सभी वकील आपस में बातचीत कर ये तय करे कि कौन कौन बहस करेगा और कितनी देर? 

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सुप्रीम कोर्ट ने 9 जजों की पीठ ने साफ़ किया कि वो सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर के साथ साथ मस्जिद में महिलाओं के प्रवेश, एक गैर-पारसी से शादी करने वाली पारसी महिलाओं को 'अगियारी' में प्रवेश पर रोक और दाउदी बोहरा समुदाय के बीच महिलाओं के खतना की परंपरा पर भी विचार करेगा.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों को तीन हफ्ते का समय दिया जाएगा ताकि पीठ द्वारा सुनवाई के लिए मुद्दों व सवालों को तय किया सके. दअरसल SG तुषार मेहता ने कहा कि क्या कोर्ट बहुविवाह मामले पर भी सुनवाई करेगा. - तब कोर्ट ने कहा कि वो केवल उन पहलुओं पर सुनवाई करेगा जो उनके पांच जजों की संविधान पीठ ने भेजे है. 

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CJI जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ये सदियों पुराना विवाद है और इसका समाधान होना चाहिए, इसका निपटारा पहले होना चाहिए इसलिए हम चाहते है कि मामले की सुनवाई क्रम के अनुसार हो. वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नही किया जा सकता, ये कोर्ट का काम नही कि वो बताये की मेरा धर्म क्या है और हम अपने धर्म का अनुसरण कैसे करें? CJI जस्टिस बोबड़े ने कहा कि आपके आपत्ति में कोई मैरिट नही है, हम मामले की सुनवाई जारी रखेंगे. 

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