चंडीगढ़:
गुरुपर्व के अवसर पर बुधवार सुबह से ही पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं ने मत्था टेका। सुबह ठंड में भी श्रद्धालु भारी संख्या में गुरुद्वारों में मत्था टेकने के लिए जा रहे थे। गुरुपर्व सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, तलवंडी साबो, आनंदपुर साहिब और पंजाब के लुधियाना, जालंधर, पटियाला, पठानकोट, मोहाली और रोपड़ सहित अन्य गुरुद्वारों में सुबह ठंड में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा था। स्वर्ण मंदिर के नाम से चर्चित अमृतसर के हरमंदर साहिब को रोशनी से सजाया गया था, बीती रात से यहां श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था।
चंडीगढ़ में लोगों ने गुरुद्वारों में मत्था टेका। सेक्टर-34 के गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी। गुरुपर्व हरियाणा के आसपास अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा, फरीदाबाद, गुड़गांव और फतेहाबाद में भी मनाया जाता है। दोनों ही राज्यों और चंडीगढ़ के सभी गुरुद्वारों में सामुदायिक रसोई या ‘लंगर’ का आयोजन किया गया था।
क्षेत्र के कई स्थानों में कल सिख समुदाय द्वारा नगर कीर्तन या धार्मिक जुलूस का आयोजन किया गया था। क्षेत्र के चर्चित गुरुद्वारों में भारी सुरक्षा-व्यवस्था की गई थी। पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारा में पूजा के लिए सिखों का एक जत्था दो दिन पहले ही रवाना हो गया था।
अमृतसर के स्वर्ण मंदिर, तलवंडी साबो, आनंदपुर साहिब और पंजाब के लुधियाना, जालंधर, पटियाला, पठानकोट, मोहाली और रोपड़ सहित अन्य गुरुद्वारों में सुबह ठंड में भी श्रद्धालुओं का तांता लगा था। स्वर्ण मंदिर के नाम से चर्चित अमृतसर के हरमंदर साहिब को रोशनी से सजाया गया था, बीती रात से यहां श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था।
चंडीगढ़ में लोगों ने गुरुद्वारों में मत्था टेका। सेक्टर-34 के गुरुद्वारा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ थी। गुरुपर्व हरियाणा के आसपास अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा, फरीदाबाद, गुड़गांव और फतेहाबाद में भी मनाया जाता है। दोनों ही राज्यों और चंडीगढ़ के सभी गुरुद्वारों में सामुदायिक रसोई या ‘लंगर’ का आयोजन किया गया था।
क्षेत्र के कई स्थानों में कल सिख समुदाय द्वारा नगर कीर्तन या धार्मिक जुलूस का आयोजन किया गया था। क्षेत्र के चर्चित गुरुद्वारों में भारी सुरक्षा-व्यवस्था की गई थी। पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब गुरुद्वारा में पूजा के लिए सिखों का एक जत्था दो दिन पहले ही रवाना हो गया था।
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