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This Article is From Dec 09, 2016

गेहूं के आयात पर ड्यूटी खत्म करने के फैसले पर राज्यसभा में हंगामा

गेहूं के आयात पर ड्यूटी खत्म करने के फैसले पर राज्यसभा में हंगामा
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान (फाइल फोटो).
नई दिल्ली: गेहूं के आयात पर ड्यूटी खत्म करने के सरकार के फैसले को लेकर शुक्रवार को राज्य सभा में जमकर हंगामा हुआ. खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने फैसले को सही ठहराते हुए दलील दी कि यह फैसला बाजार में गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए लिया गया है.

विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने विदेशी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गेहूं के आयात पर ड्यूटी हटा दी. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, "यह किसान विरोधी फैसला है. विदेशी कंपनियों को मुनाफा कमाने का मौका दे रही है सरकार. ये देश के लिए नुकसानदायक फैसला है."

जबकि सरकार ने सफाई दी कि गेहूं के दाम बढ़ने न देने के लिए यह फैसला लिया गया. पासवान ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में गेहूं के दाम में कुछ वृद्धि के आसार होने लगे हैं. और इसलिए एहतियात के तौर पर कंज्यूमर के दृष्टिकोण से यह फैसला लिया गया है."

खाद्य मंत्री के स्पष्टीकरण से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ. सरकार भी अपने रुख पर अड़ी रही. पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा, "जब बफर स्टाक में गेहूं ज्यादा है तो सरकार आयात ड्यूटी को खत्म कर रही है. इससे विदेशी कंपनियों को ही फायदा होगा." लेकिन सरकार अपने फैसले पर अड़ी रही. कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, "यह फैसला किसानों के हित में है. खाद्य मंत्रालय का फैसला जायज है."

सरकार ने यह फैसला ऐसे वक्त पर लिया है जब बाजार में गेहूं की उपलब्धता डिमांड के मुताबिक कम है. आटा मिलों को जरूरत के मुताबिक गेहूं नहीं मिल रहा है. सरकार का दावा है कि इस फैसले से बाजार में गेहूं की उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतें नियंत्रित करने में मदद मिलेगी.

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