राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंधित मजदूर संगठन, भारतीय मजदूर संघ, ने शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा की गई घोषणाओं की आलोचना की है. संगठन का कहना है कि सरकार एक तरह से निजीकरण को बढ़ावा दे रही है जिससे नौकरियों को नुकसान पहुंचेगा. संगठन का कहना है कि कोरोना महामारी के समय में सार्वजनिक क्षेत्र बहुत अहम किरदार निभा रहा है. जब बाजार और निजी संस्थाएं लॉकडाउन के चलते बंद हैं तो सार्वजनिक क्षेत्र का महत्व और भी बढ़ जाता है.
भारतीय मजदूर संघ के महासचिव बृजेश उपाध्याय ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शनिवार को की गई घोषणाओं से निराशा हुई है. गौरतलब है कि निर्मला सीतारमण ने नीतिगत बदलाव की बड़ी घोषणाएं की. जिसमें 8 महत्वपूर्ण क्षेत्र शामिल है. इन क्षेत्रों में कोयला, खनिज, डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग, एयर स्पेस मैनेजमेंट, एयरपोर्ट, ऊर्जा वितरण और एटॉमिक एनर्जी शामिल हैं.
उपाध्याय ने कहा, 'सरकार ट्रेड यूनियन, सामाजिक प्रतिनिधित्व करने वालों से बातचीत करने और सुझाव लेने में हिचक रही है. जो कि यह दिखाता है कि सरकार को खुद की सोच पर इतना भरोसा नहीं है. जो कि निंदनीय है. ज्यादातर क्षेत्रों में भारतीय मजदूर संघ पहले से ही कॉरपोरेटकरण और निजी करण को लेकर आक्रोश में है.'
उन्होंने कहा कि हमारे नीति निर्माताओं के लिए सुधार और प्रतिस्पर्धा का मतलब निजीकरण है. पर हमने हाल ही में अनुभव किया है कि संकट के समय में निजी क्षेत्र से ज्यादा सार्वजनिक क्षेत्र महत्वपूर्ण किरदार निभा रहा है.
बयान में कहा गया, 'किसी भी बदलाव का सबसे पहला असर कर्मचारियों पर ही पड़ता है. कर्मचारियों के लिए निजीकरण मतलब नौकरी चला जाना है. इससे सिर्फ मुनाफा कमाने पर जोर दिया जाएगा, कर्मचारियों का ही शोषण होगा और गुणवत्ता पूर्ण कार्य भी नहीं होगा. बिना समाज से सुझाव लिए सरकार द्वारा इस तरह बदलाव करना सही नहीं है.' बयान में कहा गया है कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में एफडीआई को बढ़ावा देना, ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का कॉरपोरेटकरण करना आपत्तिजनक है.
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