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This Article is From Nov 15, 2015

एफडीआई नियमों में ढील के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में क्यों है आरएसएस का ये संगठन?

एफडीआई नियमों में ढील के मोदी सरकार के फैसले के विरोध में क्यों है आरएसएस का ये संगठन?
पीएम मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: पन्द्रह प्रमुख क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ढील देने के सरकार के फैसले के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) ने रविवार को मांग की कि सरकार इस दिशा में अपने कदम आगे न बढ़ाए। एसजेएम ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि वह इस मामले में जल्दबाजी कर रही है।

मंच ने यह मांग भी की कि सरकार एक श्वेत पत्र जारी करे जिसमें एफडीआई के फायदों और कमियों का ब्यौरा हो। मंच ने कहा कि पहले हितधारकों की सदस्यता वाले एक आयोग का गठन किया जाए ताकि इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श हो।

‘मेक इन इंडिया’ पहल में मुख्यत: ‘मेड इन इंडिया’ पर जोर हो
मंच ने कहा कि सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल में मुख्यत: ‘मेड इन इंडिया’ पर जोर होना चाहिए। मंच के अखिल भारतीय संयोजक अश्विनी महाजन ने बताया, ‘‘एसजेएम का मानना है कि अर्थव्यवस्था के प्रमुख क्षेत्रों के लिए एफडीआई नियमों में ढील देने का मौजूदा फैसला जल्दबाजी में लिया गया है और फैसले के सकारात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर विचार किए बिना लिया गया है।’’

इन फैसलों को रोक कर रखा जाए
महाजन ने कहा, ‘‘एसजेएम की मांग है कि इन फैसलों को रोक कर रखा जाए और एक आयोग बनाया जाए जिसमें सभी हितधारकों को शामिल किया जाए। इसके साथ ही अर्थव्यवस्था को होने वाले अनुमानित नुकसान का विस्तृत अध्ययन कराया जाए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह देखना काफी दुखद है कि मौजूदा सरकार इस बाबत पिछली संप्रग सरकार की नीति का ही पालन रही है।’’ महाजन ने कहा, ‘‘एसजेएम अपनी यह मांग दोहराता है कि इस बाबत एक श्वेत पत्र जारी किया जाए। हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि महज दावों और मंशा को बार-बार दोहराने की बजाय वह भारत के लोगों से अपनी तथ्यपूर्ण स्थिति साझा करे।’’

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