आरके पचौरी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ रहे आरके पचौरी के लिए संकट बढ़ गया है। दरअसल, टेरी की एक अन्य पूर्व कर्मचारी ने बुधवार को सरेआम इसी तरह के आरोप लगाए और साथ ही कार्यकारी उपाध्यक्ष के तौर पर उनकी ताजा नियुक्ति को रोकने की मांग की गई है।
पचौरी ने 10 साल से अधिक समय पहले जिस महिला को कथित तौर पर आपत्तिजनक इशारे किए थे, उसने उच्च पद पर पचौरी की नियुक्ति की बुधवार को आलोचना की, जिन्हें दो दिन पहले ही कार्यकारी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
शिकायत के बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया
मामले का ब्योरा देते हुए महिला की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उसने पिछले साल फरवरी में पहली बार पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी जिसने कुछ नहीं किया। इससे उसे सार्वजनिक रूप से सामने आने को विवश होना पड़ा। महिला ने कहा, ‘पचौरी ने उसे अपने कार्यालय कक्ष में बार-बार बुलाने के लिए काम का बहाना बनाया जबकि वहां असल में ऐसा कोई काम नहीं था जिस पर चर्चा की जरूरत हो।’ उसने NDTV के साथ एक टेलीफोन साक्षात्कार के दौरान कहा, ‘इसने मुझे बहुत असहज कर दिया और मैंने कुछ बैठकों को टालने या अपने सहकर्मियों से बैठक के लिए जाने को कहा।’ संपर्क किए जाने पर पचौरी के वकील आशीष दीक्षित ने कहा कि उन्होंने दूसरी शिकायत को नहीं देखा और वह टिप्पणी नहीं कर सकते।
यौन उत्पीड़न का एक अन्य मामला विचाराधीन
पचौरी टेरी की एक अन्य कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में पहले से ही एक मामले का सामना कर रहे हैं। पचौरी की नियुक्ति की आलोचना करते हुए दूसरी शिकायतकर्ता ने कहा, ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध पर भारत के दुखद रिकार्ड ने रसातल को छू लिया है। सीरियल यौन उत्पीड़क आरके पचौरी को एक नए और उच्च पद से पुरस्कृत किया गया है जबकि उन्हें अब तक सजा मिल जानी चाहिए थी।’ ग्रोवर ने यह भी कहा कि महिला पचौरी के खिलाफ जारी मामले में साक्ष्य के रूप में पेश होना चाहती है ताकि महिला कर्मचारियों के साथ उनके चरित्र और व्यवहार को दिखा सके।
महिला को अभद्र नाम दिया
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है, ‘टेरी में मेरे शामिल होने और पचौरी से बातचीत शुरू होने के शीघ्र बाद उन्होंने (पचौरी ने) मेरा एक अभद्र नाम दिया। उन्होंने कहा कि यह मेरे आधिकारिक नाम से ही लिया गया है और यह मेरे लिए कहीं बेहतर रूप से उपयुक्त होगा।’ महिला साल 2003 में टेरी में शामिल हुई थी और उस वक्त पचौरी महानिदेशक थे। उसने आरोप लगाया, ‘मैंने वहां एक साल से अधिक समय तक काम किया, मेरी नौकरी में मेरा काम ही कुछ इस तरह का था कि मुझे विभिन्न मौकों पर उनसे व्यक्तिगत रूप से बात करने की जरूरत थी। वह अक्सर मुझे फोन किया करते या उनकी सचिव मुझे फोन करती।’ उसकी शिकायत के मुताबिक उन्होंने संगठन के प्रशासनिक निदेशक के समक्ष यह मुद्दा उठाया था जिन्होंने उसके आरोपों पर यकीन करने से इनकार कर दिया था।
इस्तीफा दिया तो धमकी दी
महिला ने आरोप लगाया, ''मैंने ‘सर्विसेज एंड टेरी प्रेस’ के तत्कालीन निदेशक एवं पचौरी के करीबी सहयोगी कोमोडोर जोशी से शिकायत की। उन्होंने मेरी बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि मैंने उनकी गर्मजोशी को गलत समझ लिया और ऐसी चीजें कभी नहीं दर्ज की गई तथा मुझसे वहीं पर मामले को खत्म करने का अनुरोध किया गया।’’ महिला ने यह भी दावा किया कि जब उसने इस्तीफा दिया तो पचौरी ने उसे धमकी दी कि वह उसे कहीं और नौकरी नहीं पाने देंगे। उसने शिकायत में कहा है, ‘उन्होंने (पचौरी ने) धमकी दी कि हवाईअड्डे से लेकर शहर तक मैं जहां भी जा रही हूं, उनके मित्र हर जगह हैं और वे देखेंगे कि मैं उनके रोजगार को कैसे छोड़ती हूं।’
पचौरी ने 10 साल से अधिक समय पहले जिस महिला को कथित तौर पर आपत्तिजनक इशारे किए थे, उसने उच्च पद पर पचौरी की नियुक्ति की बुधवार को आलोचना की, जिन्हें दो दिन पहले ही कार्यकारी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
शिकायत के बावजूद पुलिस ने कुछ नहीं किया
मामले का ब्योरा देते हुए महिला की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि उसने पिछले साल फरवरी में पहली बार पुलिस के पास शिकायत दर्ज कराई थी जिसने कुछ नहीं किया। इससे उसे सार्वजनिक रूप से सामने आने को विवश होना पड़ा। महिला ने कहा, ‘पचौरी ने उसे अपने कार्यालय कक्ष में बार-बार बुलाने के लिए काम का बहाना बनाया जबकि वहां असल में ऐसा कोई काम नहीं था जिस पर चर्चा की जरूरत हो।’ उसने NDTV के साथ एक टेलीफोन साक्षात्कार के दौरान कहा, ‘इसने मुझे बहुत असहज कर दिया और मैंने कुछ बैठकों को टालने या अपने सहकर्मियों से बैठक के लिए जाने को कहा।’ संपर्क किए जाने पर पचौरी के वकील आशीष दीक्षित ने कहा कि उन्होंने दूसरी शिकायत को नहीं देखा और वह टिप्पणी नहीं कर सकते।
यौन उत्पीड़न का एक अन्य मामला विचाराधीन
पचौरी टेरी की एक अन्य कर्मचारी के यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में पहले से ही एक मामले का सामना कर रहे हैं। पचौरी की नियुक्ति की आलोचना करते हुए दूसरी शिकायतकर्ता ने कहा, ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध पर भारत के दुखद रिकार्ड ने रसातल को छू लिया है। सीरियल यौन उत्पीड़क आरके पचौरी को एक नए और उच्च पद से पुरस्कृत किया गया है जबकि उन्हें अब तक सजा मिल जानी चाहिए थी।’ ग्रोवर ने यह भी कहा कि महिला पचौरी के खिलाफ जारी मामले में साक्ष्य के रूप में पेश होना चाहती है ताकि महिला कर्मचारियों के साथ उनके चरित्र और व्यवहार को दिखा सके।
महिला को अभद्र नाम दिया
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है, ‘टेरी में मेरे शामिल होने और पचौरी से बातचीत शुरू होने के शीघ्र बाद उन्होंने (पचौरी ने) मेरा एक अभद्र नाम दिया। उन्होंने कहा कि यह मेरे आधिकारिक नाम से ही लिया गया है और यह मेरे लिए कहीं बेहतर रूप से उपयुक्त होगा।’ महिला साल 2003 में टेरी में शामिल हुई थी और उस वक्त पचौरी महानिदेशक थे। उसने आरोप लगाया, ‘मैंने वहां एक साल से अधिक समय तक काम किया, मेरी नौकरी में मेरा काम ही कुछ इस तरह का था कि मुझे विभिन्न मौकों पर उनसे व्यक्तिगत रूप से बात करने की जरूरत थी। वह अक्सर मुझे फोन किया करते या उनकी सचिव मुझे फोन करती।’ उसकी शिकायत के मुताबिक उन्होंने संगठन के प्रशासनिक निदेशक के समक्ष यह मुद्दा उठाया था जिन्होंने उसके आरोपों पर यकीन करने से इनकार कर दिया था।
इस्तीफा दिया तो धमकी दी
महिला ने आरोप लगाया, ''मैंने ‘सर्विसेज एंड टेरी प्रेस’ के तत्कालीन निदेशक एवं पचौरी के करीबी सहयोगी कोमोडोर जोशी से शिकायत की। उन्होंने मेरी बात मानने से इनकार करते हुए कहा कि मैंने उनकी गर्मजोशी को गलत समझ लिया और ऐसी चीजें कभी नहीं दर्ज की गई तथा मुझसे वहीं पर मामले को खत्म करने का अनुरोध किया गया।’’ महिला ने यह भी दावा किया कि जब उसने इस्तीफा दिया तो पचौरी ने उसे धमकी दी कि वह उसे कहीं और नौकरी नहीं पाने देंगे। उसने शिकायत में कहा है, ‘उन्होंने (पचौरी ने) धमकी दी कि हवाईअड्डे से लेकर शहर तक मैं जहां भी जा रही हूं, उनके मित्र हर जगह हैं और वे देखेंगे कि मैं उनके रोजगार को कैसे छोड़ती हूं।’
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