फाइल फोटो...
अहमदाबाद:
गुजरात में पाटीदार आरक्षण आंदोलन के ठीक एक साल के बाद क्या आंदोलन टूट रहा है? क्या भाजपा आंदोलन में फूट डालने में सफल रहा है? आखिर क्यों हार्दिक पटेल के साथी एक के बाद एक उसे छोडकर जाने लगे हैं?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि आखिर हार्दिक पूरे आंदोलन का चेहरा रहे हैं. अभी कुछ दिन पहले हार्दिक के पुराने साथी चिराग पटेल और केतन पटेल ने हार्दिक पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फंड की गड़बड़ी की और भाजपा के खिलाफ राजनीति कर रहे हैं. उनका आरोप था कि पाटीदार आंदोलन अपनी दिशा से भटक रहा है और पूरा आंदोलन सिर्फ एक पार्टी के खिलाफ सिमटकर रह गया है और इससे पाटीदार समाज को फायदा नहीं होगा. अब हार्दिक के मजबूत साथी निखिल सवाणी ने भी दक्षिण गुजरात के प्रभारी के पद से इस्तीफा दिया है.
निखिल ने आरोप लगाया है कि हार्दिक पटेल पूरी निर्णय प्रक्रिया में अपनी मनमानी कर रहे हैं और किसी अन्य के साथ सलाह-मशविरा नहीं करते. साथ में ये भी कहा कि हार्दिक सिर्फ भाजपा के खिलाफ ही मुद्दे उठा रहे हैं. सवाल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से भी पूछा जाना चाहिए कि वो लोग पाटीदारों के लिए क्या कर रहे हैं। निखिल सवाणी का इस्तीफे का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले सप्ताह 8 सितंबर को भाजपा के अमित शाह समेत नेताओं का पाटीदारों के गढ़ कहे जाने वाले सूरत के इलाके में सम्मान समारोह भी है. हार्दिक ने भाजपा के नेताओं के सम्मान समारोह का विरोध करने का आह्वान किया है.
ये भी महत्वपूर्ण है कि हार्दिक पटेल जमानत के बाद 6 महीने के लिए गुजरात से दूर उदयपुर में हैं. ऐसे में उनकी गैर मौजूदगी और साथ ही साथियों के एक के बाद एक छोडने से चर्चा शुरू हो गई है कि आंदोलन टूट रहा है. हार्दिक का आरोप है कि आंदोलन को खत्म करने की साजिश भाजपा कर रही है. लेकिन भाजपा उत्साहित है कि पाटीदार आंदोलन में फूट साफ नजर आने लगी है और उसे 2017 चुनावों की तैयारी में इसका फायदा नजर आ रहा है. देखना है अब इन परिस्थितियों में हार्दिक पटेल आंदोलन को कितना आगे ले जा पाते हैं.
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं, क्योंकि आखिर हार्दिक पूरे आंदोलन का चेहरा रहे हैं. अभी कुछ दिन पहले हार्दिक के पुराने साथी चिराग पटेल और केतन पटेल ने हार्दिक पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फंड की गड़बड़ी की और भाजपा के खिलाफ राजनीति कर रहे हैं. उनका आरोप था कि पाटीदार आंदोलन अपनी दिशा से भटक रहा है और पूरा आंदोलन सिर्फ एक पार्टी के खिलाफ सिमटकर रह गया है और इससे पाटीदार समाज को फायदा नहीं होगा. अब हार्दिक के मजबूत साथी निखिल सवाणी ने भी दक्षिण गुजरात के प्रभारी के पद से इस्तीफा दिया है.
निखिल ने आरोप लगाया है कि हार्दिक पटेल पूरी निर्णय प्रक्रिया में अपनी मनमानी कर रहे हैं और किसी अन्य के साथ सलाह-मशविरा नहीं करते. साथ में ये भी कहा कि हार्दिक सिर्फ भाजपा के खिलाफ ही मुद्दे उठा रहे हैं. सवाल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी से भी पूछा जाना चाहिए कि वो लोग पाटीदारों के लिए क्या कर रहे हैं। निखिल सवाणी का इस्तीफे का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि अगले सप्ताह 8 सितंबर को भाजपा के अमित शाह समेत नेताओं का पाटीदारों के गढ़ कहे जाने वाले सूरत के इलाके में सम्मान समारोह भी है. हार्दिक ने भाजपा के नेताओं के सम्मान समारोह का विरोध करने का आह्वान किया है.
ये भी महत्वपूर्ण है कि हार्दिक पटेल जमानत के बाद 6 महीने के लिए गुजरात से दूर उदयपुर में हैं. ऐसे में उनकी गैर मौजूदगी और साथ ही साथियों के एक के बाद एक छोडने से चर्चा शुरू हो गई है कि आंदोलन टूट रहा है. हार्दिक का आरोप है कि आंदोलन को खत्म करने की साजिश भाजपा कर रही है. लेकिन भाजपा उत्साहित है कि पाटीदार आंदोलन में फूट साफ नजर आने लगी है और उसे 2017 चुनावों की तैयारी में इसका फायदा नजर आ रहा है. देखना है अब इन परिस्थितियों में हार्दिक पटेल आंदोलन को कितना आगे ले जा पाते हैं.
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