नई दिल्ली:
एफडीआई की लड़ाई में भले ही सरकार जीत गई हो, लेकिन यह कोई आसान काम नहीं था। इसके लिए सरकार को मायावती और मुलायम सिंह यादव दोनों को अपने हक में खड़ा करना पड़ा, जो एक दूसरे के धुर विरोधी हैं। और इन सबके पीछे हाथ रहा संसदीय कार्यमंत्री कमलनाथ का।
मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद अचानक एक बार फिर कांग्रेस में सबसे आगे की पंक्ति में आए कमलनाथ ने मुलायम सिंह यादव और मायावती से अपने पुराने रिश्तों को भुनाया और वह दो धुर विरोधियों को अपने फायदे के लिए एक जैसी ही लाइन पर लाने में कामयाब रहे। दोनों सदनों में सरकार को मिली इस जीत से न केवल सरकार का मनोबल ऊंचा हुआ है, बल्कि कमलनाथ का कद भी बढ़ा है।
गौरतलब है कि रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर राज्यसभा में हुई वोटिंग में विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया। प्रस्ताव के पक्ष में 102 और विरोध में 123 वोट गए, जबकि 19 सांसदों ने वोट नहीं दिया। सरकार की इस कामयाबी के पीछे समाजवादी पार्टी के वॉक आउट और बीएसपी के साथ का हाथ रहा। बीएसपी ने सरकार के समर्थन में वोटिंग की।
हालांकि वोटिंग से दूर रहने वाले मुलायम सिंह यादव अब भी इसके विरोध में डटे हुए हैं और उन्होंने कहा कि इसको लेकर उनका विरोध जारी रहेगा। संसद के ऊपरी सदन में हुई इस वोटिंग के बाद देश में एफडीआई का रास्ता साफ हो गया है और सरकार अब आर्थिक सुधार से जुड़े उन बिलों को पास कराने की रणनीति बना रही है, जो लंबे समय से अटके पड़े हैं।
खबर है कि सरकार सोमवार को लोकसभा में बैंकिंग सुधार बिल को बहस और पास करने के लिए पेश कर सकती है, साथ ही पेंशन और इंश्योरेंस सेक्टर में बड़े सुधार से जुड़े बिल पर भी सरकार आम सहमति बनाकर आगे बढ़ना चाहती है।
कमलनाथ ने संवाददाताओं को बताया, निश्चित तौर पर हम आगामी सप्ताहों में संसद में और विधेयक लाने जा रहे हैं और हम सभी राजनीतिक दलों को इन पर राजी करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने वित्तीय विधेयकों पर बीजेपी से सहयोग मांगा है, उन्होंने कहा, मैंने उनके साथ चर्चा की है। मुझे भरोसा है कि बीजेपी भी हमारा समर्थन करेगी। वे विधेयकों में एक या दो संशोधन चाहते हैं और चर्चा चल रही है।
राज्यसभा में एफडीआई मुद्दे पर सरकार की जीत पर वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा, लोकसभा में मतदान के बाद राज्यसभा में मतदान कराने की मांग की शायद जरूरी नहीं थी। यह राज्यसभा का अधिकार है और उन्होंने इसकी मांग की। उन्होंने कहा, हमने दिखा दिया कि हमारे पास स्पष्ट बहुमत है। सरकार ने दिखा दिया है कि दोनों सदनों में हमारा बहुमत है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि खुदरा में एफडीआई एक ऐसा विषय है, जिसे विपक्षी दलों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। सरकार की सुधारवादी नीति को संसद की मंजूरी मिल गई।
उधर, विपक्ष का मानना है कि एफडीआई पर लोकसभा और राज्यसभा में मिली जीत का मतलब सरकार को यह नहीं लगाना चाहिए कि वह आर्थिक सुधारों पर उनके साथ है, यानी भले ही एफडीआई का कांटा आसानी से निकल गया हो, लेकिन अभी कई मोर्चे ऐसे हैं, जहां सरकार को विपक्ष से दो-दो हाथ करने हैं।
मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद अचानक एक बार फिर कांग्रेस में सबसे आगे की पंक्ति में आए कमलनाथ ने मुलायम सिंह यादव और मायावती से अपने पुराने रिश्तों को भुनाया और वह दो धुर विरोधियों को अपने फायदे के लिए एक जैसी ही लाइन पर लाने में कामयाब रहे। दोनों सदनों में सरकार को मिली इस जीत से न केवल सरकार का मनोबल ऊंचा हुआ है, बल्कि कमलनाथ का कद भी बढ़ा है।
गौरतलब है कि रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर राज्यसभा में हुई वोटिंग में विपक्ष का प्रस्ताव गिर गया। प्रस्ताव के पक्ष में 102 और विरोध में 123 वोट गए, जबकि 19 सांसदों ने वोट नहीं दिया। सरकार की इस कामयाबी के पीछे समाजवादी पार्टी के वॉक आउट और बीएसपी के साथ का हाथ रहा। बीएसपी ने सरकार के समर्थन में वोटिंग की।
हालांकि वोटिंग से दूर रहने वाले मुलायम सिंह यादव अब भी इसके विरोध में डटे हुए हैं और उन्होंने कहा कि इसको लेकर उनका विरोध जारी रहेगा। संसद के ऊपरी सदन में हुई इस वोटिंग के बाद देश में एफडीआई का रास्ता साफ हो गया है और सरकार अब आर्थिक सुधार से जुड़े उन बिलों को पास कराने की रणनीति बना रही है, जो लंबे समय से अटके पड़े हैं।
खबर है कि सरकार सोमवार को लोकसभा में बैंकिंग सुधार बिल को बहस और पास करने के लिए पेश कर सकती है, साथ ही पेंशन और इंश्योरेंस सेक्टर में बड़े सुधार से जुड़े बिल पर भी सरकार आम सहमति बनाकर आगे बढ़ना चाहती है।
कमलनाथ ने संवाददाताओं को बताया, निश्चित तौर पर हम आगामी सप्ताहों में संसद में और विधेयक लाने जा रहे हैं और हम सभी राजनीतिक दलों को इन पर राजी करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने वित्तीय विधेयकों पर बीजेपी से सहयोग मांगा है, उन्होंने कहा, मैंने उनके साथ चर्चा की है। मुझे भरोसा है कि बीजेपी भी हमारा समर्थन करेगी। वे विधेयकों में एक या दो संशोधन चाहते हैं और चर्चा चल रही है।
राज्यसभा में एफडीआई मुद्दे पर सरकार की जीत पर वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कहा, लोकसभा में मतदान के बाद राज्यसभा में मतदान कराने की मांग की शायद जरूरी नहीं थी। यह राज्यसभा का अधिकार है और उन्होंने इसकी मांग की। उन्होंने कहा, हमने दिखा दिया कि हमारे पास स्पष्ट बहुमत है। सरकार ने दिखा दिया है कि दोनों सदनों में हमारा बहुमत है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री वी. नारायणसामी ने कहा कि खुदरा में एफडीआई एक ऐसा विषय है, जिसे विपक्षी दलों ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया। सरकार की सुधारवादी नीति को संसद की मंजूरी मिल गई।
उधर, विपक्ष का मानना है कि एफडीआई पर लोकसभा और राज्यसभा में मिली जीत का मतलब सरकार को यह नहीं लगाना चाहिए कि वह आर्थिक सुधारों पर उनके साथ है, यानी भले ही एफडीआई का कांटा आसानी से निकल गया हो, लेकिन अभी कई मोर्चे ऐसे हैं, जहां सरकार को विपक्ष से दो-दो हाथ करने हैं।
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