सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास HC के हाथियों को पलायन करने के लिए सुरक्षित मार्ग के लिए मुदुमलाई आरक्षित वन क्षेत्र में सभी रिसॉर्ट और निर्माण को ढहाने के आदेश को बरकरार रखा है. अदालत ने यह एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की देखरेख में सदस्यीय समिति का गठन किया है ताकि अवैध निर्माण में शामिल मुद्दों की जांच की जा सके. SC ने 12 जुलाई, 2011 को मद्रास HC के आदेश को बरकरार रखा है.अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती सहित प्रमुख लोगों ने वहां रिसॉर्ट बनाए हैं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाथियों के बीच किसी को आने नही दिया जाएगा और हम हाथियों के कॉरिडोर को बरकरार रखेंगे. हम हाथियों के कॉरिडोर बचाने के लिये एक कमेटी का गठन करेंगे जो इलाके में बने ढ़ाचों की वैधता की जांच करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस कमेटी में हाईकोर्ट के एक रिटायर जज और दो विशेषज्ञ होंगे जो इलाके को खाली कराने और मुआवजे के मुद्दे पर भी विचार करेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से कमेटी के सदष्यों के लिये लिखित सुझाव मांगे है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था.
अदालत ने रिसोर्ट मालिकों की शिकायतों को देखने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय पैनल नियुक्त किया है.मालिक 4 महीने के भीतर पैनल के साथ अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं. पूर्व राज्यसभा सांसद और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का भी एक रिसॉर्ट है और वो याचिकाकर्ता हैं. CJI एसए बोबडे, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और संजीव खन्ना की तीन-न्यायाधीश पीठ ने इस मामले पर फैसला सुनाया है.
शीर्ष अदालत का फैसला मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आया है. SC ने याचिकाकर्ता ऐलीफेंट राजेंद्रन के प्रयासों की सराहना की जिन्होंने इस मामले को मद्रास उच्च न्यायालय के सामने रखा था. SC ने पहले हाथी कॉरिडोर के अंदर अवैध निर्माणों पर एकत्रित रिपोर्ट के बाद रिसॉर्ट्स को सील करने का आदेश दिया था.
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