
- सुप्रीम कोर्ट पहुंचा आरक्षण बिल का मामला
- एनजीओ ने कहा- आर्थिक आधार पर भी नहीं दे सकते आरक्षण
- यूथ फार इक्वलिटी नामक एनजीओ ने दाखिल की है याचिका
आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण(Reservation Bill) का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पहुंच गया है. यूथ फॉर इक्विलिटी ने संविधान संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ है और आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता.बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) की ओर से देश भर के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला ऐतिहासिक विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पास हुआ. लोकसभा और राज्यसभा से इस बिल के पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया और कहा कि यह देश की युवा शुक्ति को अपना कौशल दिखाने के लिए व्यापक मौका सुनिश्चित करेगा तथा देश में एक बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा. पीएम मोदी ने कई ट्वीट में लिखा, ‘‘खुशी है कि संविधान (124वां संशोधन) विधेयक पारित हो गया है जो सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने के लिए संविधान में संशोधन करता है. मुझे देखकर प्रसन्नता हुई कि इसे इतना व्यापक समर्थन मिला.''
आर्थिक आधार पर सवर्णों को आरक्षण का बिल लोकसभा से पास, PM मोदी ने इसे देश के लिए ऐतिहासिक क्षण बताया
उन्होंने कहा, ‘‘संविधान (124वां संशोधन) विधेयक, 2019 के संसद के दोनों सदनों में पारित होना सामाजिक न्याय की जीत है. यह युवा शक्ति को अपना कौशल दिखाने का व्यापक मौका प्रदान करता है और देश में एक बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा.'' उन्होंने कहा कि विधेयक का पारित होना संविधान निर्माताओं और महान स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति एक श्रद्धांजलि है जिन्होंने एक ऐसे भारत की परिकल्पना की जो मजबूत एवं समावेशी हो. राज्यसभा ने बुधवार को सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को शिक्षा एवं रोजगार में 10 प्रतिशत आरक्षण मुहैया कराने वाले संविधान संशोधन को मंजूरी दे दी.
राज्यसभा में सवर्ण आरक्षण बिल पास होने पर PM मोदी बोले- यह सामाजिक न्याय की जीत है
मोदी सरकार (Modi Government) द्वारा देश भर के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला ऐतिहासिक विधेयक बुधवार को राज्यसभा में भी पास हो गया. लोकसभा और राज्यसभा से इस बिल के पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे सामाजिक न्याय की जीत बताया और कहा कि यह देश की युवा शुक्ति को अपना कौशल दिखाने के लिए व्यापक मौका सुनिश्चित करेगा तथा देश में एक बड़ा बदलाव लाने में सहायक होगा.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राज्यसभा से बिल पास होने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी को बधाई दी. उन्होंने ट्वीट किया, 'आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग को आरक्षण देने वाले विधेयक के राज्यसभा में पास होने पर प्रधानमंत्री मोदी जी को हार्दिक बधाई और इसका समर्थन करने वाले सभी सदस्यों का आभार.'
बुधवार को विधेयक पर हुई चर्चा में कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों द्वारा इस विधेयक का समर्थन करने के बावजूद न्यायिक समीक्षा में इसके टिक पाने की आशंका जतायी गयी और पूर्व में पी वी नरसिंह राव सरकार द्वारा इस संबंध में लाये गये कदम की मिसाल दी गयी. कई विपक्षी दलों का आरोप था कि सरकार इस विधेयक को लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखकर लायी है. अन्नाद्रमुक सदस्यों ने इस विधेयक को ‘असंवैधानिक' बताते हुये सदन से बहिर्गमन किया.
विधेयक पर हुयी चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने सवाल किया कि ऐसी क्या बात हुयी कि यह विधेयक अभी लाना पड़ा? उन्होंने कहा कि पिछले दिनों तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि इन विधानसभा चुनावों में हार के बाद संदेश मिला कि वे ठीक काम नहीं कर रहे हैं.
राजद नेता मीसा भारत ने आरक्षण बिल पर कहा था कि यह राजनीतिक स्टंट है. सरकार ने साढ़े चार साल में कुछ नहीं किया. बिल को जिस तरह से इन लोगों ने लाया और सवर्णों को झूनझूना दे दिया है, जो हिलेगा लेकिन आवाज नहीं करेगा. राजद ने इस बिल का विरोध किया.
आप नेता और सांसद संजय सिंह ने आरक्षण बिल पर कहा था कि सरकार ने गरीब सवर्णों को धोखा दिया है. आप नेता संजय सिंह ने कहा कि हमने वोटिंग का बहिष्कार किया, क्योंकि इस बिल के जरिये गरीब सवर्णों की पीठ में छुरा घोंपने का काम सरकार ने किया है.
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