सुप्रीम कोर्ट ने हथियारों की गैरकानूनी बिक्री में शामिल सेना के बड़े अधिकारियों को हल्की-फुल्की सजा और मामूली जुर्माना लगाकर छोड़े जाने पर आज नाराज़गी जाहिर की है। कोर्ट ने सेना की सभी कमान में जांच का आदेश देने का अपना विकल्प खुला रखा है।
न्यायमूर्ति एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह दक्षिण पश्चिम कमान, जहां यह गोरखधंधा प्रकाश में आया था, तक अपनी जांच सीमित रखने की बजाय सेना की सभी कमान में जांच का आदेश देने पर विचार कर सकती है।
न्यायाधीशों ने कहा कि इस तरह की गतिविधियों में शामिल अधिकारियों को उनके जुर्म के हिसाब से सजा नहीं दी गई और इससे कोर्ट की अंतरात्मा भी हतप्रभ है। इस तरह की गतिविधियों में मेजर, ले. कर्नल और कर्नल रैंक के अधिकारी तक संलिप्त रहे हैं।
कोर्ट ने कहा कि इसमें शामिल गिरोह द्वारा खिलौनों की तरह बाजार में खुलेआम हथियार और गोला बारूद बेचा जा रहा है और हो सकता है कि इसमें से कुछ आतंकवादियों के हाथ लग गया हो और निर्दोष लोगों की हत्या में इनका इस्तेमाल हुआ हो।
न्यायाधीशों ने कहा कि स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी को सरकार से निर्देश प्राप्त करके बताना चाहिए कि क्यों नहीं इस याचिका का दायरा बढ़ाकर सभी कमान में जांच करायी जाए और क्यों नहीं ऐसे अधिकारियों को दिया गया दंड निरस्त करके इसे बढ़ाने के लिए नए सिरे से जांच पर विचार किया जाए।
अदालत ने 15 दिन के भीतर सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले में अब 16 सितंबर को आगे विचार किया जाएगा। न्यायालय ने इस दौरान पेश सामग्री और दस्तावेजों का अवलोकन किया। इसमें से कुछ तो सीलबंद लिफाफे में पेश किया गया था। न्यायालय ने कहा कि दंड तो मामूली है और यह आंख में धूल झोंकने जैसा है।
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