भारत और पाकिस्तान के बीच किसी शांति के पुल की तरह देखा जा रहा करतारपुर गलियारा पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं. करतारपुर गलियारे को लेकर दोनों देशों के विशेषज्ञों के बीच होने वाली बैठक बिना किसी नतीजे के ही खत्म हो गई है. पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के डेरा बाबा नानक से जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी करतारपुर गलियारा परियोजना में उस समय रुकावट आ गई जब दोनों देशों के तकनीकी विशेषज्ञों के बीच रावी खादर के ऊपर पुल निर्माण पर सहमति नहीं बन पाई. पाकिस्तान और भारत के विशेषज्ञों ने करतारपुर जीरो प्वाइंट पर गलियारे की कार्य प्रणाली पर चर्चा के लिए बैठक की. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, बैठक केवल एक घंटे चली. इस दौरान दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों ने निर्माण कार्य को लेकर जानकारी साझा की. एक अधिकारी ने बताया, 'भारत रावी नदी के ऊपर एक किलोमीटर लंबा पुल बनाना चाहता है जबकि पाकिस्तान ने सड़क बनाने की आवश्यकता जताई'.
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अधिकारी के अनुसार, 'भारतीय अधिकारियों ने नदी में बाढ़ की आशंका के मद्देनजर सड़क निर्माण पर आपत्ति जताई. हालांकि, पाकिस्तानी अधिकारियों ने कहा कि सड़क के चारों ओर बांध बनाया जा सकता है और बाढ़ के पानी से बचने के लिए सड़क का झुकाव ऊंचा रखा जाता है.' दोनों पक्ष अपने अपने निर्णय पर अड़े रहे. इसके चलते बैठक बिना किसी नतीजे पर पहुंच ही खत्म हो गई. दोनों देश आगामी बैठक की तिथि पर भी सहमत नहीं हो पाए.
बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय, भारतीय भूमि पत्तन प्राधिकरण, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य विभागों के अधिकारी शामिल थे. वहीं पाकिस्तानी पक्ष का प्रतिनिधित्व संघीय जांच एजेंसी, सीमा शुल्क, निर्माण, पाकिस्तान रेंजर्स पंजाब और सर्वे ऑफ पाकिस्तान के अधिकारियों ने किया. इससे पहले दोनों पक्षों के तकनीकी विशेषज्ञों और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इसी स्थान पर अप्रैल में वार्ता की थी. वहीं मार्च की बैठक में दोनों पक्षों ने डेरा बाबा नानक-करतारपुर साहिब गलियारे में सीमा पर बाड़ एवं विकास कार्य के लिए अपनी-अपनी सरकारों को सर्वेक्षण एवं नक्शे मुहैया कराने का फैसला किया था.
(इनपुटः भाषा)
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