मशहूर साहित्यकार और सामाजिक कार्यकर्ता महाश्वेता देवी का आज निधन हो गया। वह 90 वर्ष की थीं। पिछले काफी समय से कोलकाता के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। महाश्वेता देवी लंबे समय से उम्र संबंधी समस्याओं से पीड़ित थीं। उन्हें लंबे समय से गुर्दे की और रक्त संक्रमण की समस्या थी।
महाश्वेता देवी (फाइल फोटो : AllIndiaRadioNews@twitter)
वह ज्ञानपीठ, पद्मश्री और मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित थीं। तीन दशक से ज्यादा समय तक वह आदिवासियों के बीच काम करती रहीं। उनके साहित्य का काफी हिस्सा आदिवासियों के जीवन पर आधारित था। यूं तो महाश्वेता देवी बांग्ला में उपन्यास लिखा करती थीं लेकिन अंग्रेज़ी, हिंदी और अलग अलग भाषाओं में अनुवाद के ज़रिए उनके साहित्य की पहुंच काफी व्यापक स्तर पर थी। उनके लिखे उपन्यासों पर कई फिल्में बनी हैं मसलन 'हज़ार चौरासी की मां' पर फिल्मकार गोविंद निहलानी ने फिल्म बनाई है। इसके अलावा 'रुदाली', 'संघर्ष' और 'माटी माय' भी ऐसा सिनेमा है जो महाश्वेता के उपन्यासों पर आधारित है।
महाश्वेता देवी (फाइल फोटो : AllIndiaRadioNews@twitter)
'मार्गदर्शक खो दिया..'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट में लिखा - महाश्वेता देवी ने कलम की ताकत को बखूबी दिखाया है। न्याय, बराबरी और दया की यह आवाज़ हमें गहरे दुख में छोड़कर चली गई -
Mahashweta Devi wonderfully illustrated the might of the pen. A voice of compassion, equality & justice, she leaves us deeply saddened. RIP.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 28, 2016
India has lost a great writer. Bengal has lost a glorious mother. I have lost a personal guide. Mahashweta Di rest in peace
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) July 28, 2016
Withher passes an era of public intellectuals who stood for marginalised n oppressed n gave them a voice. A living legend RIP #MahaSwetaDevi
— Medha Patkar (@medhanarmada) July 28, 2016
The woman who walked with the broken and refused to sit with the 'great'! Writer Mahasweta Devi passes away in Kolkata. What a life !!!!
— Mahesh Bhatt (@MaheshNBhatt) July 28, 2016
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