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This Article is From Mar 03, 2014

शहीदां दा खू से निकाले गए सभी 282 सैनिकों के अवशेष

शहीदां दा खू से निकाले गए सभी 282 सैनिकों के अवशेष
अजनाला (पंजाब):

ब्रिटिश सैनिकों द्वारा 157 साल पहले कुएं में डाले गए सभी 282 भारतीय सैनिकों के पार्थिव अवशेष बरामद करने के साथ 'शहीदां दा खूं' की खुदाई का काम पूरा हो गया।

स्थानीय गैर सरकारी संगठन और गुरुद्वारा प्रबंध समितियों के स्वयंसेवियों ने भारत-पाक सीमा पर स्थित अजनाला शहर में 28 फरवरी को खुदाई का काम शुरू किया था। पुलिस ने बताया कि कंकालों के अलावा 1857 काल के 60 सिक्के और स्वर्ण पदक भी कुएं से पाए गए।

स्थानीय गुरुद्वारा प्रबंध समिति के प्रमुख अमरजीत सिंह सरकारिया और इतिहासकार सुरिंदर कोचर नीत गैर सरकारी संगठन के मुताबिक करीब 500 भारतीय सैनिकों ने 1857 के विद्रोह के दौरान लाहौर में मियां मीर छावनी में बगावत की थी और अमृतसर के अजनाला शहर में पहुंचने के लिए उन्होंने रावी नदी को तैर कर पार किया था।

उनमें से 218 की ब्रिटिश सैनिकों ने यहां के नजदीक स्थित दादियां सोफियां गांव में हत्या कर दी। बाकी के 282 सैनिकों को पिंजड़े जैसे एक कमरे में बंद कर दिया, जिसमें से ज्यादातर की दम घुटने से मौत हो गई। शेष लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी गई और उनके शव कुएं में डाल दिए गए, जिसे बाद में 'कालियांवाला खूं' के नाम से जाना गया।

गौरतलब है कि 'खू' का मतलब कुआं होता है, जबकि 'कालियांवाला' काले शब्द से बना है, उपनिवेशवादी भारतीयों को इसी नाम से पुकारा करते थे। इस स्थान को शहीदां दा खू (शहीदों का कुआं) नाम से भी जाना जाता है।

कोचर ने इस बात की मांग की है कि सरकार एक स्मारक के लिए स्थाई भूखंड आवंटित करे, जहां पार्थिव अवशेषों को रखा जा सके।

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