अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को सुलझाने के लिए समझौते की उम्मीद लोगों में जगी है.
लखनऊ:
देश के मुख्य न्यायाधीश की पेशकश पर अयोध्या मामले में अगर सुलह की बातचीत होती है तो यह इस मुद्दे पर समझौते की 11वीं कोशिश होगी. वर्ष 1986 से अब तक समझौते की 10 कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं. लेकिन चीफ जस्टिस ने अब फिर एक बार लोगों में उम्मीद पैदा कर दी है.
131 साल से यह नहीं तय हो पाया कि अयोध्या में झगड़े वाली जगह पर किसके खुदा की इबादत हो...? गुजरते वक्त के साथ मामला पेचीदा होता गया…सन 1961 में जिस साल मुल्क में धरमपुत्र फिल्म का गाना…”यह मस्जिद है वो बुतखाना, चाहे यह मानो, चाहे वो मानो" सुपरहिट हुआ. उसी साल चार मुस्लिम पैरोकारों ने अदालत में बाबरी मस्जिद पर दावा पेश किया.
अगस्त 2010 में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर एक बार दोनों पक्षों में बातचीत की कोशिश हो चुकी है...लेकिन अब चीफ जस्टिस की पेशकश से फिर उम्मीद की किरण दिखी है. अयोध्या में राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास कहते हैं कि “हम चाहते हैं कि दोनों पक्ष बैठकर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन करें और कहां वो मस्जिद बनाएंगे. मंदिर के संबंध में यहां के 10 हजार लोगों ने हस्ताक्षर करके सुप्रीम कोर्ट में दे दिया है कि जहां रामलला विराजमान हैं, वहां मंदिर बनेगा और कुबेरटीला के दक्षिण की तरफ मस्जिद बनेगी.”
मंदिर-मस्जिद के मसले को हल करने के लिए 1986 से अब तक 10 कोशिशें नाकाम रही हैं. देश के छह प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के वक्त बातचीत हुई. इसमें पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन, तांत्रिक चंद्रा स्वामी, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अली मियां, मौजूदा अध्यक्ष राबे हसन नदवी, उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक और जस्टिस पलोक बसु इस बातचीत का हिस्सा रहे.
बाबरी मस्जिद के सबसे बुज़ुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी, हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञान दास के साथ अपने आखिरी वक्त में वहां मंदिर मस्जिद साथ-साथ बनवाने की कोशिश में थे. मस्जिद पक्ष के लोग भी चीफ जस्टिस की पेशकश का स्वागत करते हैं. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर ज़फरयाब जिलानी कहते हैं “जब सीजेआई कोई ऑर्डर पास करेंगे, एडवाइज़ देंगे तो उस पर बोर्ड गौर करेगा. हम उनका रिस्पेक्ट करते हैं. उन पर भरोसा करते हैं. कोई उनका ऑर्डर तो आए…तभी तो गौर करेंगे…काहे पर गौर करेंगे.”
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मंदिर-मस्जिद के मुकदमे के पैरोकारों में मंदिर पक्ष की तरफ से निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, विहिप, हिंदू महासभा, राजेंद्र सिंह और मस्जिद पक्ष से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, हाजी महबूब, इकबाल अंसारी, मोहम्मद फारुक और मौलाना महफूज़ुर्रहमान शामिल हैं. यह सारे लोग भी कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं. ऐसे में सबकी एक राय होना मुश्किल होता है.
131 साल से यह नहीं तय हो पाया कि अयोध्या में झगड़े वाली जगह पर किसके खुदा की इबादत हो...? गुजरते वक्त के साथ मामला पेचीदा होता गया…सन 1961 में जिस साल मुल्क में धरमपुत्र फिल्म का गाना…”यह मस्जिद है वो बुतखाना, चाहे यह मानो, चाहे वो मानो" सुपरहिट हुआ. उसी साल चार मुस्लिम पैरोकारों ने अदालत में बाबरी मस्जिद पर दावा पेश किया.
अगस्त 2010 में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के आदेश पर एक बार दोनों पक्षों में बातचीत की कोशिश हो चुकी है...लेकिन अब चीफ जस्टिस की पेशकश से फिर उम्मीद की किरण दिखी है. अयोध्या में राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास कहते हैं कि “हम चाहते हैं कि दोनों पक्ष बैठकर सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन करें और कहां वो मस्जिद बनाएंगे. मंदिर के संबंध में यहां के 10 हजार लोगों ने हस्ताक्षर करके सुप्रीम कोर्ट में दे दिया है कि जहां रामलला विराजमान हैं, वहां मंदिर बनेगा और कुबेरटीला के दक्षिण की तरफ मस्जिद बनेगी.”
मंदिर-मस्जिद के मसले को हल करने के लिए 1986 से अब तक 10 कोशिशें नाकाम रही हैं. देश के छह प्रधानमंत्रियों राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के वक्त बातचीत हुई. इसमें पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन, तांत्रिक चंद्रा स्वामी, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, पर्सनल लॉ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष अली मियां, मौजूदा अध्यक्ष राबे हसन नदवी, उपाध्यक्ष मौलाना कल्बे सादिक और जस्टिस पलोक बसु इस बातचीत का हिस्सा रहे.
बाबरी मस्जिद के सबसे बुज़ुर्ग पैरोकार हाशिम अंसारी, हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञान दास के साथ अपने आखिरी वक्त में वहां मंदिर मस्जिद साथ-साथ बनवाने की कोशिश में थे. मस्जिद पक्ष के लोग भी चीफ जस्टिस की पेशकश का स्वागत करते हैं. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के कन्वेनर ज़फरयाब जिलानी कहते हैं “जब सीजेआई कोई ऑर्डर पास करेंगे, एडवाइज़ देंगे तो उस पर बोर्ड गौर करेगा. हम उनका रिस्पेक्ट करते हैं. उन पर भरोसा करते हैं. कोई उनका ऑर्डर तो आए…तभी तो गौर करेंगे…काहे पर गौर करेंगे.”
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मंदिर-मस्जिद के मुकदमे के पैरोकारों में मंदिर पक्ष की तरफ से निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, विहिप, हिंदू महासभा, राजेंद्र सिंह और मस्जिद पक्ष से यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड, हाजी महबूब, इकबाल अंसारी, मोहम्मद फारुक और मौलाना महफूज़ुर्रहमान शामिल हैं. यह सारे लोग भी कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं. ऐसे में सबकी एक राय होना मुश्किल होता है.
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