प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
राज्यसभा के चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवारों को रोकने के लिए कांग्रेस ने साम्प्रदायिक ताकतों को रोकने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
आरके आनंद बिगाड़ रहे सुभाष चंद्रा का खेल
कांग्रेस ने लगभग तय कर लिया है कि हरियाणा में वह निर्दलीय आरके आनंद का सर्मथन करेगी। बीजेपी के पास हरियाणा में 52 वोट हैं और उनके आधिकारिक उम्मीदवार चौधरी विरेंदर सिंह को 31 वोट चाहिए। बीजेपी ने अपने बचे 21 वोट सुभाष चंद्रा को देने का फैसला किया है। मगर इससे बात नहीं बनती। हरियाणा में आरके आनंद भी निर्दलीय के तौर पर मैदान में हैं। आनंद को चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल का समर्थन हासिल है। अब कांग्रेस ने आरके आनंद को सर्मथन देने का मन बनाकर सुभाष चंद्रा का खेल खराब कर दिया है। हालांकि सुभाष चंद्रा ने चौटाला के दल के कुछ विधायकों के समर्थन की बात कही है मगर इनेलो गठबंधन के 20 और 17 कांग्रेस विधायकों के साथ आरके आनंद के जीतने में कोई संदेह नहीं लग रहा है।
राजस्थान में निर्दलियों पर सबकी नजर
कुछ ऐसे ही हालात राजस्थान में बन रहे हैं, जहां बाजेपी ने ओम माथुर, वेंकैया नायडू, हर्ष डुंगरपुर और राम कुमार वर्मा को मैदान में उतारा है। बीजेपी को अपने चौथे उम्मीदवार को जिताने के लिए निर्दलियों की मदद चाहिए। यही नहीं बीजेपी की दिक्कत यहां पर यह भी है कि राजस्थान में राज्यसभा के सभी उम्मीदवारों में से कोई भी वसुंधरा के गुट का नहीं माना जाता है। यह सभी दिल्ली से भेजे गए हैं, इसलिए राजस्थान में कमल मुरारका ने निर्दलीय पर्चा भर कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। मुरारका को कांग्रेस के 21, बीएसपी के 3, किरोडीमल मीणा के 4 ,जमींदारा पार्टी के 2 और 7 निर्दलीय पर भरोसा है। इन्हीं 7 निर्दलियों पर बीजेपी की भी नजर है।
उत्तरप्रदेश में छोटे दल और निर्दलीय होंगे महत्वपूर्ण
उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही नजारा है। बीजेपी के शिव प्रसाद शुक्ला को जीत के लिए 34 वोट चाहिए। इसके बाद बीजेपी के पास 7 वोट बचते हैं जिसके लिए बीजेपी ने निर्दलीय प्रीति महापात्रा को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस के कपिल सिब्बल को जीत के लिए 5 अतिरिक्त वोट चाहिए। अब यहां सारा खेल बीएसपी के बचे वोट, छोटे दलों और निर्दलियों पर निर्भर है।
सदन में समर्थन लेने के लिए कांग्रेस का निर्दलियों को समर्थन
कुछ ऐसा ही किस्सा मध्यप्रदेश में भी है, जहां कांग्रेस के विवेक तनखा, जिन्हें जीत के लिए महज एक वोट चाहिए, के मुकाबले विनोद गोटिया को मैदान में उतारा गया है जिन्हें जीत के लिए 9 वोट चाहिए। कांग्रेस बीजेपी की राज्य सभा में अपनी सीटें बढ़ाने की रणनीति के खिलाफ गैर साम्प्रदायिक ताकतों को एकजुट करने की रणनीति अपना रही है। वह बीजेपी का खेल बिगाड़ने में जुट गई है। कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवारों को इसलिए समर्थन दिया है कि राज्य सभा में वोटिंग के दौरान वे कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे।
आरके आनंद बिगाड़ रहे सुभाष चंद्रा का खेल
कांग्रेस ने लगभग तय कर लिया है कि हरियाणा में वह निर्दलीय आरके आनंद का सर्मथन करेगी। बीजेपी के पास हरियाणा में 52 वोट हैं और उनके आधिकारिक उम्मीदवार चौधरी विरेंदर सिंह को 31 वोट चाहिए। बीजेपी ने अपने बचे 21 वोट सुभाष चंद्रा को देने का फैसला किया है। मगर इससे बात नहीं बनती। हरियाणा में आरके आनंद भी निर्दलीय के तौर पर मैदान में हैं। आनंद को चौटाला की इंडियन नेशनल लोकदल का समर्थन हासिल है। अब कांग्रेस ने आरके आनंद को सर्मथन देने का मन बनाकर सुभाष चंद्रा का खेल खराब कर दिया है। हालांकि सुभाष चंद्रा ने चौटाला के दल के कुछ विधायकों के समर्थन की बात कही है मगर इनेलो गठबंधन के 20 और 17 कांग्रेस विधायकों के साथ आरके आनंद के जीतने में कोई संदेह नहीं लग रहा है।
राजस्थान में निर्दलियों पर सबकी नजर
कुछ ऐसे ही हालात राजस्थान में बन रहे हैं, जहां बाजेपी ने ओम माथुर, वेंकैया नायडू, हर्ष डुंगरपुर और राम कुमार वर्मा को मैदान में उतारा है। बीजेपी को अपने चौथे उम्मीदवार को जिताने के लिए निर्दलियों की मदद चाहिए। यही नहीं बीजेपी की दिक्कत यहां पर यह भी है कि राजस्थान में राज्यसभा के सभी उम्मीदवारों में से कोई भी वसुंधरा के गुट का नहीं माना जाता है। यह सभी दिल्ली से भेजे गए हैं, इसलिए राजस्थान में कमल मुरारका ने निर्दलीय पर्चा भर कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। मुरारका को कांग्रेस के 21, बीएसपी के 3, किरोडीमल मीणा के 4 ,जमींदारा पार्टी के 2 और 7 निर्दलीय पर भरोसा है। इन्हीं 7 निर्दलियों पर बीजेपी की भी नजर है।
उत्तरप्रदेश में छोटे दल और निर्दलीय होंगे महत्वपूर्ण
उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही नजारा है। बीजेपी के शिव प्रसाद शुक्ला को जीत के लिए 34 वोट चाहिए। इसके बाद बीजेपी के पास 7 वोट बचते हैं जिसके लिए बीजेपी ने निर्दलीय प्रीति महापात्रा को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस के कपिल सिब्बल को जीत के लिए 5 अतिरिक्त वोट चाहिए। अब यहां सारा खेल बीएसपी के बचे वोट, छोटे दलों और निर्दलियों पर निर्भर है।
सदन में समर्थन लेने के लिए कांग्रेस का निर्दलियों को समर्थन
कुछ ऐसा ही किस्सा मध्यप्रदेश में भी है, जहां कांग्रेस के विवेक तनखा, जिन्हें जीत के लिए महज एक वोट चाहिए, के मुकाबले विनोद गोटिया को मैदान में उतारा गया है जिन्हें जीत के लिए 9 वोट चाहिए। कांग्रेस बीजेपी की राज्य सभा में अपनी सीटें बढ़ाने की रणनीति के खिलाफ गैर साम्प्रदायिक ताकतों को एकजुट करने की रणनीति अपना रही है। वह बीजेपी का खेल बिगाड़ने में जुट गई है। कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवारों को इसलिए समर्थन दिया है कि राज्य सभा में वोटिंग के दौरान वे कांग्रेस को अपना समर्थन देंगे।
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