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This Article is From Jul 29, 2020

राजस्‍थान: विधानसभा सत्र को लेकर गतिरोध कायम, राज्‍यपाल ने फिर कहा-21 दिन को नोटिस बेहद जरूरी

राज्‍यपाल की ओर से एक बार फिर दोहराया है कि विधासनभा सत्र (Assembly Session) बुलाने के लिए 21 दिन को नोटिस बेहद जरूरी है.

राजस्‍थान: विधानसभा सत्र को लेकर गतिरोध कायम, राज्‍यपाल ने फिर कहा-21 दिन को नोटिस बेहद जरूरी
राज्‍यपाल ने 31 जुलाइग्‍ से विधानसभा सत्र बुलाने का सीएम का अनुरोध फिर ठुकरा दिया है
जयपुर:

Rajasthan Political Crisis: राजस्‍थान के सियासी संकट को लेकर मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) और राज्‍यपाल कलराज मिश्र (Governor Kalraj Mishra) के बीच का गतिरोध खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा. 31 जुलाई को विधानसभा का सत्र बुलाने को लेकर सीएम चार बार गवर्नर साहब से मिल चुके हैं. राज्‍यपाल की ओर से एक बार फिर दोहराया है कि विधासनभा सत्र (Assembly Session) बुलाने के लिए 21 दिन को नोटिस बेहद जरूरी है. यानि राज्यपाल का कहना है कि अगर आप “विश्वास मत प्रस्ताव लाना चाहते हैं तो जल्दी विधानसभा सत्र बुलाया जा सकता है वर्ना 21 दिन के नोटिस पर सत्र बुलाया जाए जबकि गहलोत सरकार का कहना है कि वो “विश्वास मत  प्रस्ताव “ नहीं लाना चाहते उनके पास बहुमत है.

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राज्‍यपाल की ओर से कहा गया है कि यदि सरकार विश्‍वास मत लाना चाहती है तो वह कोराना वायरस महामारी के चलते 'सोशल डिस्‍टेंसिंग' का पालन करते हुए संक्षिप्‍त विधानसभा सत्र बुला सकती है.गौरतलब है कि बार बार की गुहार के बाद भी विधानसभा सेशन आयोजित करने की इजाजत नहीं मिलने पर कांग्रेस की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई है. चीफ व्हिप महेश जोशी ने कहा कि राज्यपाल आखिरकार सत्र बुलाने पर सहमत क्यों नहीं हो रहे हैं? कोरोना कोई मुद्दा नहीं है. कोरोना के मामले में राजस्थान में रिकवरी रेट अच्छा है. हमें फ्लोर टेस्ट की क्या जरूरत है? हम बहुमत में हैं. यदि राज्यपाल को संदेह है कि तो वह हमें फ्लोर टेस्ट का निर्देश दे सकते हैं. उन्‍होंने कहा क गवर्नर ऐसे सवाल कर रहे हैं जो कि उनकी अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं. हमारे के पास पूर्ण बहुमत है और हमने इस बारे में राज्यपाल को सूचित भी किया है.

राजस्‍थान के सीएमगहलोत ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र के लिए राज्यपाल को मंगलवार को नया प्रस्ताव भेजा था. गहलोत के पहले प्रस्ताव को राज्यपाल ने तीन शर्तों के वापस कर दिया था. राजभवन की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि 'महामहिम' की सलाह है कि विधानसभा सत्र के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए. अगर विश्वास मत की नौबत आती है तो इसका लाइव प्रसारण किया जाए और कोरोना से बचने के लिए 200 विधायकों और कम से कम 100 अधिकारियों की सोशल डिस्टेंसिंग के इंतज़ामों का ख़याल रखा जाए.
 

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