
Rajasthan Crisis: राजस्थान में सत्ता को लेकर मचे घमासान के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने अपनी सरकार को गिराने की साजिश रचे जाने का आरोप लगाया है. पीएम को लिखे पत्र में सीएम गहलोत ने लिखा है कि राज्यों में चुनी हुई सरकारों को लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत हॉर्स ट्रेडिंग के माध्यम से गिराने के लिए कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं. उन्होंने लिखा है, 'हमारे संविधान में बहुदलीय व्यवस्था के कारण राज्यों एवं केंद्र में अलग-अलग दलों की सरकारे चुनीं जाती रही है. यह हमारे लोकतंत्र की खूबसूरती ही है कि इन सरकारों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोकहित को सर्वोपरि रखते हुए काम किया है.'
प्रिय श्री @narendramodi जी, मैं आपका ध्यान राज्यों में चुनी हुई सरकारों को लोकतांत्रिक मर्यादाओं के विपरीत हॉर्स ट्रेडिंग के माध्यम से गिराने के लिए किये जा रहे कुत्सित प्रयासों की ओर आकृष्ट करना चाहूंगा।@PMOIndia pic.twitter.com/SQypkHdBBP
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 22, 2020
उन्होंने लिखा है कि पूर्व पीएम राजीव गांधी की सरकार द्वारा वर्ष 1985 में बनाए गए दलबदल निरोधक कानून और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा किए गए संशोधन की भावनाओं को जनहित को दरकिनार करके पिछले कुछ समय से लोकतांत्रित तरीके से चुनी गई राज्य सरकारों को अस्थिर करने का प्रयास किया जा रहा है. यह जनमत का घोर अपमान और संवैधानिक मूल्यों की खुली अवहेलना है. कर्नाटक और मध्य प्रदेश में हुए घटनाक्रम इसके उदाहरण हैं.गहलोत ने लेटर में लिखा है, कोरोना संकट के बीच हमारी प्राथमिकता जनता की मदद करना हैं, लेकिन राज्य में चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश चल रही है, लेकिन हमारी सरकार सुशासन देते हुए अपना कार्यकाल पूरा करेगी.
पत्र में गहलोत ने यह भी लिखा कि उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, बीजेपी के अन्य नेता और हमारी पार्टी के अति महत्वाकांक्षी नेता भी शामिल हैं. इसमें से एक भंवर लाल शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता ने स्वर्गीय भैंरोसिंह शेखावत सरकार को भी विधायकों की खरीद-फरोख्त करके गिराने का प्रयास किया था.गौरतलब है कि दिसंबर 2018 में जब राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी थी तो अशोक गहलोत को राज्य का मुख्यमंत्री और सचिन पायलट को उप मुख्यमंत्री बनाया गया था. इसके बाद से ही गहलोत और उनके 'डिप्टी' के रिश्तों में खटास बढ़ती जा रही थी. पायलट का मानना था कि राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते राज्य में सरकार बनाने में उनका अहम योगदान रहा है और वे सरकार का नेतृत्व करने के हकदार हैं. दोनों खेमों के बीच तल्खी उस समय सार्वजनिक हो गई जब सचिन पायलट और उनके खेमे में करीब 30 विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावती बिगुल फूंक दिया. पायलट इस मांग के साथ दिल्ली पहुंचे कि उन्हें सीएम के रूप में पदोन्नत किया जाए और श्री गहलोत को बर्खास्त कर दिया जाए. उन्होंने अपने साथ 30 विधायकों के समर्थन होने का दावा किया था. कांग्रेस ने इस पर सख्त कार्रवाई करते हुए पायलट का उप मुख्यमंत्री और राज्य कांग्रेस प्रमुख पद से बर्खास्त कर दिया था. यही नहीं, उनके समर्थक, राज्य सरकार के दो मंत्रियों को भी हटा दिया गया था.
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