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This Article is From Jul 12, 2021

राजस्थान : गर्भवती बहन के सामने ही उसके पति की हत्या, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आरोपी की जमानत

राजस्थान हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. कोर्ट ने आरोपी को तुरंत सरेंडर करने को कहा  है.आरोपी पर गर्भवती बहन के सामने ही उसके पति का हत्या का आरोप है.

राजस्थान : गर्भवती बहन के सामने ही उसके पति की हत्या, सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की आरोपी की जमानत
राजस्थान ऑनर किलिंग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को पलटा
नई दिल्ली:

राजस्थान के चर्चित ऑनर किलिंग मामले  में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी की जमानत रद्द कर दी है. राजस्थान हाईकोर्ट के जमानत देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है. कोर्ट ने आरोपी को तुरंत सरेंडर करने को कहा  है.आरोपी पर गर्भवती बहन के सामने ही उसके पति का हत्या का आरोप है. सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल में तेजी लाने का भी आदेश दिया है. 9 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने ‘ऑनर किलिंग' के मामले में एक आरोपी को जमानत दिए जाने पर कहा था कि उसे मुकदमे के परिणाम का इंतजार करना चाहिए था. मामले में केरल के एक युवक ने राजस्थान की लड़की से शादी की थी और आरोप है कि लड़की के परिवारवालों ने 2017 में लड़के की हत्या करवा दी.  

CJI  एनवी रमना, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय की पीठ ने मृतक अमित नायर के बहनोई मुकेश चौधरी की जमानत पहले रद्द कर दी थी. पीठ ने इस पर नाराजगी जताई कि मुकदमा अब भी लंबित होने के बावजूद आरोपी को जमानत दे दी गई. पीठ ने कहा था कि ये यह कैसा आदेश है. वे इंतजार क्यों नहीं कर सकते. मुकदमे से पहले जमानत पाने के लिए आपके मुवक्किल की बेचैनी सही नहीं है. हमने पहले जमानत रद्द कर दी थी. उन्हें मुकदमे के पूरा होने का इंतजार करना चाहिए था. राजस्थान के वकीलों, अमित नायर की विधवा ममता नायर और चौधरी के वकील की ओर से पेश वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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दरअसल, जयपुर की रहने वाली ममता ने अगस्त 2015 में अपने माता-पिता की मर्जी के खिलाफ मुकेश चौधरी के दोस्त अमित से शादी की थी.  दो साल बाद मई 2017 में महिला के माता-पिता जीवनराम चौधरी और भगवानी देवी ने जयपुर में अपने दामाद अमित नायर की हत्या की कथित तौर पर साजिश रची. पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला के माता-पिता एक परिचित के साथ उसके घर में घुसे जिसने अमित को गोली मार दी और उसका दूसरा साथी बाहर कार में इंतजार कर रहा था. आरोपी के वकील ने कहा कि वह एक इंजीनियर था और घटना की जगह पर मौजूद नहीं था.

इसके अलावा उस पर साजिश रचने का आरोप लगाया गया है और इसके लिए निचली अदालत के सामने कोई सबूत नहीं रखा गया है. मनोज चौधरी के वकील ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा मुकदमे के दौरान 46 में से केवल 21 अभियोजन गवाहों से पूछताछ की गई है और आरोपी को जेल में बंद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. पीठ ने ममता नायर की याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया. अमित की मां रमा देवी ने 17 मई, 2017 को जयपुर में भारतीय दंड संहिता की धारा 452 (घर में अवैध तौर पर घुसना), 302 (हत्या) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत FIR  दर्ज कराई थी.

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