सेना के एक पूर्व कर्मी की विधवा को 30 साल पहले भूखंड आवंटित किये जाने के बावजूद उन्हें जमीन पर कब्जा नहीं देने को गंभीरता से संज्ञान लेते हुए राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि उक्त महिला को दो सप्ताह के भीतर उस भूखंड पर कब्जा दिया जाए. न्यायमूर्ति दिनेश मेहता की पीठ ने मंगलवार को सरकार से कहा कि यदि महिला को आवंटित की गई भूमि देना संभव न हो तो उसे कोई अन्य भूखंड दिया जाए. पीठ ने दिवंगत सैन्यकर्मी हरि सिंह की पत्नी लहार कंवर की ओर से दायर याचिका पर पाली के जिलाधिकारी और जिले के बाली उप संभाग के एसडीएम को निर्देश दिया.
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वकील देवकी नंदन व्यास के माध्यम से अदालत में दायर याचिका में कंवर ने कहा था कि उनके पति ने 1965 तथा 1971-72 के युद्धों में भाग लिया था और उन्हें रक्षा पदक, समर सेवा स्टार और संग्राम पदक जैसे सम्मानों से नवाजा गया था. महिला ने कहा कि 1983 में सड़क दुर्घटना में उनके पति की मौत हो गई थी और “युद्ध-विधवा” के तौर पर उन्हें 1991 में बाली उप संभाग के तहत संदेराव में दो हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई थी. वकील व्यास ने अदालत को बताया कि महिला को जमीन पर कब्जा कभी नहीं दिया गया और इसके लिए उसे दर-दर भटकना पड़ रहा है.
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