प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
रेलवे की योजना भारत-चीन सीमा पर बिलासपुर-मनाली-लेह रेल लाइन पर चलने वाली ट्रेनों में विमानों की तरह ही वायुदाब नियंत्रण वाले कोच का इस्तेमाल करने की है. दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले स्थान पर बनने जा रहे इस रेलवे ट्रैक पर वायुदाब नियंत्रण वाले कोच से यात्रियों को सांस लेने में परेशानी नहीं होगी. विमानों के केबिन में वायु दाब नियंत्रित किया जाता है क्योंकि ऊंचाई पर वायु का घनत्व कम होता है. इससे होने वाली परेशानियों से बचने के लिए विमानों के केबिन में समुद्र की सतह के समान दबाव समायोजित किया जाता है. दोनों जगहों पर सांस लेने की स्थिति लगभग समान होती है.
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समुद्र की सतह से 5,360 मीटर की ऊंचाई पर 83,360 करोड़ रूपये की लागत से 465 किलोमीटर रेल लाइन बनाई जाएगी जो रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण होगी. इसी रेल लाइन में रेलवे देश में पहली बार, वायुदाब नियंत्रण वाले कोच का उपयोग ट्रेनों में करेगा. इस समय केवल चीन में किंघाई-तिब्बत रेलवे लाइन में इस तरह के कोच का इस्तेमाल किया जाता है.
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उत्तर रेलवे के चीफ इंजीनियर (निर्माण) डी आर गुप्ता ने बताया कि ऊंचाई वाले स्थानों में यात्रियों को सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से विशेष दाब नियंत्रण वाले कोच लगाने की योजना है. इससे कोच के अंदर ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखने में मदद मिलेगी.
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